IAS Abhishek Prakash: उत्तर प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में घिरे 2006 बैच के 8th रैंक होल्डर IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया है. बिहार में सिवान जिला के जीरादेई में जन्मे अभिषेक UP कैडर में कार्यरत थे और इन्वेस्ट यूपी के CEO के साथ-साथ औद्योगिक विकास विभाग के सचिव के पद पर भी तैनात थे. लखनऊ के DM समेत कई अहम पदों पर रह चुके अभिषेक प्रकाश पर घूसखोरी, अवैध संपत्ति और भूमि घोटाले में संलिप्तता के आरोप हैं.
उद्योगपति की शिकायत के बाद एक्शन
IAS अभिषेक प्रकाश इन्वेस्ट यूपी के CEO और औद्योगिक विकास विभाग के सचिव के पद पर तैनात थे. उन पर आरोप है कि उन्होंने सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के बदले 5% कमीशन की मांग की थी. जब कंपनी ने यह रकम देने से इनकार किया तो फाइलें अटक गईं. इसके बाद 20 मार्च को एसएईएल सोलर पी6 प्राइवेट लिमिटेड के विश्वजीत दत्ता ने मुख्यमंत्री कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद जांच शुरू हुई.
अरबों की संपत्ति का खुलासा
जांच के दौरान पता चला कि अभिषेक प्रकाश ने बरेली और लखीमपुर में 700 बीघा जमीन खरीदी और लखनऊ में कई आलीशान बंगले बनवाए. वे ब्रह्मोस मिसाइल फैक्ट्री भूमि घोटाले में भी संलिप्त पाए गए, जिसमें 20 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप है. इसके अलावा लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) में रहते हुए उन्होंने बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए फाइलों में हेरफेर किया.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिए सख्त आदेश
शिकायत के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तुरंत कार्रवाई के आदेश दिए. STF और विजिलेंस टीम ने IAS अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू कर दी. दस्तावेजों की समीक्षा और अधिकारियों से पूछताछ में घोटाले की पुष्टि हुई. इसके बाद गोमती नगर थाने में भ्रष्टाचार की FIR दर्ज कराई गई और उनके करीबी सहयोगी निकांत जैन को गिरफ्तार कर लिया गया.
निकांत जैन ने उगला सच, कई बड़े नाम जांच के घेरे में
निकांत जैन जो कि IAS अभिषेक प्रकाश के लिए दलाली का काम करता था पूछताछ के दौरान टूट गया और IAS अधिकारी के भ्रष्टाचार की परतें खोल दीं. उसने यह भी खुलासा किया कि इस घोटाले में कुछ और बड़े अधिकारी और नेता शामिल हैं, जिनकी भूमिका की जांच की जा रही है.
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ED और विजिलेंस की रेड, IAS अधिकारी के ऑफिस से फाइलें जब्त
STF और विजिलेंस ने निकांत जैन के कार्यालय में छापा मारा, जहां से घूसखोरी और अवैध लेन-देन से जुड़ी फाइलें जब्त की गईं. अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी इस मामले में शामिल हो सकता है ताकि अवैध संपत्तियों की गहन जांच की जा सके.