कुरसेला दियारा क्षेत्र की बड़ी आबादी के लिए नदियों को नाव से पार करना जोखिम भरा हो गया है. गंगा, कोसी नदियों के पार दियारा क्षेत्र में निवास करने वाले को प्रतिदिन नाव से आवागमन करना पड़ता है. खेती के लिए तीनघरिया, गांधी घर बिंद टोली, खेरिया, बालू टोला, मलेनियां, बसुहार मजदिया कमलाकान्ही, जरलाही, मधेली गुमटी टोला, शेरमारी, चांयटोला, बाघमारा आदि गांवों के किसान मजदूर प्रतिदिन गंगा, कोसी नदियों को नाव पार कर गोबराही, बटेशपुर दियारा क्षेत्रो से आवाजाही करने का कार्य करते हैं. नदियों को पार कर आवागमन करना इनकी विवशता है. इन गांवों के किसानों के जमीन गंगा कोसी नदियों के पार दियारा क्षेत्रो में पड़ता है. बताया जाता है कि नदी में नाव परिचालन व्यवस्था के लिये कई घाट है. जहां से नावें खुला करती है. किसान दियारा से हरा चारा दुध आदि समानों को प्रतिदिन लाने का कार्य करते हैं. खेती सहित अन्य कार्यों के लिये नदी को पार करना इनकी विवशता है. प्रतिदिन दाह-संस्कार करने के लिये लोग नदी पार करने का कार्य करते हैं. दियारा क्षेत्र के स्कूलों में पदास्थापित शिक्षकों को नाव से गंगा पार कर आना जाना पड़ता है. नदियों में सैलाव आने पर गंगा कोसी नदियां भयावह रुप धारण कर लेती है. नदियों का तेज प्रवाह के बीच चलने वाली हवा का झौका में नदी में चलने वाले नाव के लिये शामत बन जाता है. नाविकों के लिये नाव का संतुलन बना कर सुरक्षित करना कठिन हो जाता है. गंगा नदी के बीच प्रवाह में मंगलवार को घटित घटना में कुछ इसी तरह के हालत बन गया था. एहतियात के तौर पर बचाव के लिए नाव पर कोई पर्याप्त साधन नहीं होता है. फलस्वरुप नाव से परिचालन करने वाले की जिंदगी की सुरक्षा भगवान भरोसे होती है. मौसम के बिगड़ने पर नाविक नदी में नाव परिचालन करने से बाज नहीं आते हैं. उस पर नाव क्षमता से अधिक लोगों के उस पर सवार होने से जोखिम का खतरा अधिक बढ़ जाता है. नदियों में नाव डूबने की छोटी बड़ी घटना घटित हो चुकी है. मधेली गुमटी टोला में नदी में नाव डूबने से कई की मौत हो गयी थी. बाढ़ के वक्त गंगा कोसी नदियां विकराल रुप धारण कर लेती है. नदियों के प्रवाह क्षेत्र का दायरा अधिक बढ़ जाता है. जिससे गंगा पार करने के खतरे कई गुणा बढ़ जाता है. ऐसे में एहतियात सावधानी नहीं बरतते जाने से नदी में नाव से परिचालन करना असुरक्षित हो जाता है.
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