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अलुआबाड़ी रोड- न्यू जलपाईगुड़ी तीसरी व चौथी लाइन को कैबिनेट की मंजूरी

अलुआबाड़ी रोड- न्यू जलपाईगुड़ी तीसरी व चौथी लाइन को कैबिनेट की मंजूरी

कटिहार केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अलुआबाड़ी रोड व न्यू जलपाईगुड़ी के बीच तीसरी और चौथी रेल लाइन को मंजूरी दे दी है. यह भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में रेल कनेक्टिविटी बढ़ाने में एक उल्लेखनीय माइलस्टोन है. पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के कटिहार रेल मंडल के क्षेत्राधिकार में 57 किलोमीटर की कुल लंबाई में फैली इस परियोजना को लगभग 1,786 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर मंजूरी दी गई है. इस परियोजना का उद्देश्य देश के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक में परिवहन बुनियादी संरचना की बढ़ती मांग को पूरा करना है. अतिरिक्त रेल पटरियों के बिछने से, भीड़भाड़ में कमी होगी. यात्रीवाही एवं मालवाही दोनों ट्रेनों की अधिक कुशल और तेज आवाजाही हो सकेगी. परिणामस्वरूप यात्रा समय कम होगा और सेवाओं की समग्र विश्वसनीयता में सुधार होगा. बढ़ी हुई रेल क्षमता न केवल मौजूदा बुनियादी संरचना पर बोझ को कम करेगी बल्कि चाय, लकड़ी और कृषि उत्पादों जैसे सामग्रियों के परिवहन को भी सुगम बनायेगी. 21.6 मिलियन टन अतिरिक्त माल ढुलाई, प्रति वर्ष 2.14 करोड़ लीटर डीजल की बचत यह परियोजना दिल्ली-गुवाहाटी हाई डेनसिटी नेटवर्क मार्ग का हिस्सा है और भूटान, बांग्लादेश एवं नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के निकट होने के कारण इसका रणनीतिक महत्व है, जो इन पड़ोसी क्षेत्रों तक महत्वपूर्ण पहुंच प्रदान करती है. यह बिहार के किशनगंज और पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग एवं उत्तर दिनाजपुर जिलों से होकर गुजरती है एवं यात्री और माल परिवहन दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण लिंक के रूप में कार्य करती है. इन बुनियादी संरचनाओं के विकास में 7 स्टेशन, 99 पुल और 3 रोड ओवर ब्रिज और 8 रोड अंडर ब्रिज का निर्माण शामिल होगा. परियोजना का उद्देश्य 21.6 मिलियन टन अतिरिक्त माल की आवाजाही को सुविधाजनक बनाना है, जिससे लॉजिस्टिक लागत में 2,551 करोड़ रुपये की बचत होगी। यह प्रति वर्ष 2.14 करोड़ लीटर डीजल की बचत कर ईंधन संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा. अलुआबाड़ी रोड – न्यू जलपाईगुड़ी सेक्शन की तीसरी और चौथी लाइन परियोजना न केवल परिवहन अवसंरचना को सुदृढ़ करेगी, बल्कि पूर्वोत्तर में आर्थिक विकास, क्षेत्रीय एकीकरण और जीवन स्तर में सुधार के लिए उत्प्रेरक का कार्य भी करेगी. यह परियोजना बिहार, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर में परिवहन नेटवर्क की समग्र दक्षता को बढ़ाएगी और इस महत्वपूर्ण कॉरिडोर पर भीड़भाड़ को कम करेगी, जो भारत के पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्र के बीच एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है. एनएफआर इस परियोजना को कुशलतापूर्वक निष्पादित करने को प्रतिबद्ध है, जिससे क्षेत्र की कनेक्टिविटी तथा विकास को अधिकतम लाभ सुनिश्चित हो सके. कपिंजल किशोर शर्मा, सीपीआरओ, एनएफ रेलवे

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