डीएस कॉलेज बीएड का सुर्खियों से रहा है पुराना नाता
कटिहार. डीएस कॉलेज बीएड विभाग 2017 में मान्यता मिलने के बाद से सुर्खियों में रहा है. पुराने शिक्षकों की नियुक्ति में गड़बड़झाला का मामला हो या शिक्षकों व कर्मचारियों की कमी का मामला अब तक पटाक्षेप नहीं हो पाया है. बीएड के पहले प्रधान सहायक तरूण कुमार के इस्तीफा के बाद वरीयता को दरकिनार कर कनीय को प्रभार मामला गंभीर बना हुआ है. डीएस कॉलेज के शिक्षकों व बीएड के शिक्षकों के साथ कर्मचारियों के बीच एनसीटीई के नियमों को दरकिनार कर प्रधान सहायक प्रभार में डीएस कॉलेज के एक शिक्षक के नजदीकी बताये जाने वाले को अधिक तरजीह दी गयी है. बीएड के प्रथम प्रधान सहायक तरूण कुमार के शिक्षक में भर्ती होने पर उनके द्वारा फरवरी 2024 में दिये गये इस्तीफे के बाद वरीयता को दरकिनार कर कनीय को प्रभार दे दिये जाने से एक ओर जहां कर्मचारियों में खींचतान शुरू हो गयी है. दूसरी ओर कई तरह के कार्य प्रभावित हो रहे हैं, ऐसा बीएड के कई कर्मचारियों का कहना है. कई शिक्षकेतर कर्मचारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि प्रशासनिक व प्रोफेशनल कर्मियों के रूप में पुस्तकाध्यक्ष के लिए एक बैचलर ऑफ लाइब्रेरी के साथ 55 प्रतिशत, लैब असिस्टेंट के लिए बीसीए 55 प्रतिशत मार्क्स के साथ एक, ऑफिस कम एकाउंटेंट असिस्टेंट एक, ऑफिस असिस्टेंट कम कम्प्यूटर ऑपरेटर एक, स्टोर कीपर एक, टेक्निकल असिस्टेंट एक, लैब एटेंडेंट्स, हेल्पर, सपोर्ट स्टॉफ दो के लिए विज्ञापन निकाला गया था.लैब असिस्टेंट को छोड़ टेक्निकल असिस्टेंट को मिला प्रभार
बीएड के कई कर्मचारियों की मानें तो वरीयता के अनुसार प्रधान सहायक के इस्तीफे के बाद नियमत: लैब असिस्टेंट को प्रधान सहायक का प्रभार मिलना चाहिए. लेकिन वरीयता को दरकिनार कर टेक्निकल असिस्टेंट को प्रधान सहायक का प्रभार दिलाया गया. डीएस कॉलेज के एक वरीय शिक्षक के नजदीकी रहने के कारण इस तरह कार्य किया गया है. ऐसा कई शिक्षाविदों व कर्मचारियों का मानना और कहना है. उनलोगों की मानें तो टेक्निकल असिस्टेंट को इग्नू में असिस्टेंट के रूप में करीब 2019 कार्य लिया जा रहा है. उनलोगाें की मानें तो बीएड एक स्ववित पोषित संस्था है. इसके बाद इग्नू में कार्य लिया जाना कहीं न कहीं नियमों की अनदेखी व नजदीकी को पिछले एक माह तक इग्नू की परीक्षा में बीएड के प्रभारी प्रधान सहायक से कार्य लिये जाने की वजह से बीएड के कई तरह के कार्य प्रभावित हुए होंगे. इससे नकारा नहीं जा सकता है.एनसीटीई नियमों के विरुद्ध हुआ प्रभार
एनसीटीई के नियमों के विरुद्ध जाकर बीएड के प्रभारी प्रधान सहायक का प्रभार दिलाया गया. यह कार्य डीएस कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य की ओर से किया गया. इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं है. बीएड के प्रधान सहायक के इस्तीफे के बाद नियमत: शत-प्रतिशत लैब असिस्टेंट को प्रधान सहायक का प्रभार मिलना चाहिए था.डॉ अजीजुल इस्लाम, एचओडी, बीएड विभाग, डीएस कॉलेजB
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