कुरसेला नदियों के जलस्तर में कमोवेश उफान की स्थिति से बाढ़ का फैलाव यथावत बना हुआ है. गंगा, कोसी नदियों के तटीय क्षेत्र का भूभाग बाढ़ से जलप्लावित हो चुका है. मुख्य नदियों के साथ मौसमी नदियां और जलाशय बाढ़ से लबालब हो चुका है. बड़े भूभाग के बाढ़ से डूबने से पशुपालकों के समक्ष हरा पशु चारा की किल्लत पड़ गया है. पशुपालक दूर दराज के सूखे क्षेत्रों से पशु चारा लाकर पशुओं के आहार की व्यवस्था कर रहे हैं. बाघमारा पचखूटी गांव का आवागमन नाव के सहारे निर्भर हो गया है. गांव के लोगों को हाट बाजार तक आवागमन करने की परेशानी बढ़ गयी है. गंगा नदी के साथ कोसी नदी के बाढ़ में सुधार नहीं हो पाया है. कोसी नदी के उफान में पूर्व के अपेक्षा थोड़ी नरमी आई है. प्रखंड के अधिकांश गांव बाढ़ से घिर चुका है. निचले इलाके के गांवों के घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश करने से प्रभावित परिवारों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. खेरिया, पत्थल टोला, तीनघरिया, कमलाकान्ही, गुमटी टोला के समीप गंगा नदी में कटाव का खतरा बढ़ गया है. मधेली के बारह नम्बर ठोकर पर गंगा का दबाव बढ़ता जा रहा है. कटरिया गांव के बांध के समीप पानी का स्तर उपर उठता जा रहा है. इसी तरह घुरना बल्थी महेशपुर बांध सह सड़क पर बाढ़ का दबाव बन आया है. नदियों में उफान बढ़ने के स्थिति में अगामी एक पखवाड़े के अंदर प्रखंड क्षेत्र में बाढ़ संकट गहरा सकता है. जनमानस बाढ़ संकट को लेकर दहशत में हैं. उधर गंगा नदी का प्रवाह क्षेत्र का दायरा बढ़ने से नाव से दियारा क्षेत्र आवागमन करने वाले का जोखिम का खतरा बढ़ गया है. दियारा के लोग खतरों से जूझ कर नाव से आर पार करने का कार्य कर रहे हैं. गोबराही, जरलाही, बटेशपुर दियारा के गांव के लोगों को दैनिक उपयोग के सामाग्रियों के लिये कुरसेला, बरारी आदि समीप के बाजारों में आकर खरीददारी करनी पड़ती है. बाजार तक आने के लिए दियारा के लोगों को नाव से गंगा नदी पार करना पड़ता है. नदियों के जलस्तर बढ़ने से दियारा के लोगों की मुश्किलें अधिक बढ़ सकती है. दियारा का गांव चारों तरफ नदियों के बाढ़ से घिर कर टापू बन चुका है. कोसी गंगा नदी का बाढ़ आपस में मिलने से समुद्र जैसा दृश्य अवलोकित हो रहा है.
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