– आज अनूपलाल मंडल की प्रतिमा का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करेंगे अनावरण – उपन्यासों में झलकती है समाज में जीवन का हर स्वरूप कटिहार जिले के समेली प्रखंड के चकला मौला नगर में जन्मे हिंदी साहित्य के प्रकाण्ड विद्वान अनूपलाल मंडल फिर से सुर्खियों में हैं. सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिले के समेली प्रखंड मुख्यालय में साहित्यकार अनूप लाल मंडल की प्रतिमा का अनावरण करने वाले है. सोमवार को समेली प्रखंड मुख्यालय में अनूपलाल मंडल की प्रतिमा स्थापित की गयी है. जिसका अनावरण मुख्यमंत्री को करना है. कटिहार सहित सीमांचल के क्षेत्र से यह मांग भी उठती रही है कि पूर्णिया विश्वविद्यालय का नामकरण अनूप-रेणु विश्वविद्यालय के नाम से किया जाय. लोगों को यह उम्मीद है कि समेली में अनूपलाल मंडल की प्रतिमा अनावरण के बाद मुख्यमंत्री पूर्णिया विश्वविद्यालय के नामकरण को लेकर घोषणा कर सकते है. बहरहाल अनुप के प्रतिमा अनावरण के बहाने उनकी कृति व रचनाएं फिर से सुर्खियों में है. जानकर यह भी बताते हैं कि अनूप लाल मंडल को बिहार का प्रेमचंद्र कहा जाता है. उन्होंने साहित्यिक क्षेत्र में कई ऐसी कृतियां दी है, जो समाज का जीवंत स्वरूप को प्रदर्शित करता है. अनूपलाल अद्वितीय कोटि के उपन्यासकार थे. इसके साथ वह अच्छे कथाकार भी थे. उनकी अभिरुचि हिन्दी साहित्य की तरफ ज्यादा थी. उन्होंने हिन्दी साहित्य में रमकर एक नयी भावनाओं को जन्म दिया. विभिन्न क्षेत्रों में अनूप ने दीं सेवाएं बताया जाता है कि अनूप लाल मंडल के उपन्यास मीमांसा पर वर्ष 1940 में किशोर साहू निर्देशन में बहुरानी नामक फिल्म बनी. उन्होंने अपनी प्रारंभिक कार्य क्षेत्र की शुरूआत प्राइमरी स्कूल के अध्यापक के रूप में की. हालांकि उन्हें अध्यापन कार्य के अलावा साहित्यिक क्षेत्र में उनकी रुचि बढ़ती गयी. उन्हें हिंदी, अंग्रेजी, बंगाली और उर्दू का अच्छा ज्ञान था. वह हिन्दी साहित्य सम्मेलन (प्रयाग) की साहित्यरत्न परीक्षा पास कर उच्च विद्यालय में हिन्दी अध्यापन का कार्य.करने लगे. कुछ ही दिनो के बाद वह राजस्थान के बीकानेर के अगरचन्द भेरोदान सेठिया महाविद्यालय में हिन्दी प्राध्यापक के पद पर नियुक्त हुए. जानकारों की मानें तो वह अपने प्राध्यापक कार्य के समय से ही हिन्दी साहित्य के विकास पर अनेक रणनीतियां बनायी. बीकानेर से वापस आने के बाद उन्होंने ””युगान्तर साहित्य मंदिर”” नामक प्रकाशन संस्था की स्थापना की. उनकी नियुक्ति बिहार राष्ट्रभाषा परिषद पटना में हुई. इस पद पर वे लगभग दस वर्षो तक सेवा करने के पश्चात् सेवानिवृत हुए. साहित्य के क्षेत्र में हासिल की है कई उपलब्धियां अनूपलाल मंडल का जन्म 11 अक्टूबर 1896 को जिले के समेली के चकला मौलानगर में एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था. अपने पिता की मृत्यु के बाद उन्हें अपने दादा की देखरेख में बड़े हुए. उन्होंने स्वाध्याय के बल पर साहित्य रत्न की परीक्षा उत्तीर्ण की और हिंदी के लेखक और कथाकार बन गये. वर्ष 1911 में वह एक सहायक शिक्षक बन गये. जबकि 1914 में उन्होंने सबदलपुर गुरु ट्रेंग स्कूल पूर्णिया से प्रशिक्षण प्राप्त किया. वर्ष 1920 में उन्हें मल्हारिया को मध्य विद्यालय में हिंदी पंडित के रूप में नियुक्त किया गया था. उन्हें 1928 में हिंदी साहित्य सम्मेलन में साहित्य रत्न की उपाधि से सम्मानित किया गया. वर्ष 1941 में वे सत्याग्रह आंदोलन में जेल गये. जबकि 22 सितंबर 1982 को उनका निधन हो गया. गांव में एक गरीब परिवार में पैदा होने के बावजूद अनुपलाल बाबू को हिंदी साहित्य रत्न की उपाधि मिली. अनुप बाबू की प्रमुख कृतियां अनूप बाबू की मीमांसा, दस बीघा जमीन, निर्वासिता, समाज की वेदी पर, साकी, रूपरेखा, सविता, ज्वाला, ज्योतिर्मयी, वे अभागे, बुझने न पाये, आवारों की दुनिया, दर्द की तस्वीरें, रक्त और रंग, अभियान का पथ, केंद्र और परिधि, तूफान और तिनके और उत्तर पुरुष आदि 18 उपन्यास प्रकाशित हुई हैं. जबकि तीन अन्य उपन्यास अप्रकाशित हैं. एक अन्य उपन्यास नया सूरज नया चांद अंगिका भाषा में प्रकाशित है. उन्होंने कैवर्त्त कौमुदी नामक पत्रिका का संपादन भी किये हैं जबकि एक कहानी संग्रह ””पंचामृत””, कुछ बाल कथा संग्रह, तीन संस्मरण एवं तीन अनुवाद की पुस्तक प्रकाशित हुई है. मुख्यमंत्री आज करेंगे अनूप बाबू के प्रतिमा का अनावरण जिले के समेली प्रखंड मुख्यालय में अनूप बाबू की प्रतिमा का अनावरण किया जायेगा. मूर्ति अनावरण आयोजन समिति समेली की ओर से मूर्ति अनावरण समारोह रखा गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रतिमा का अनावरण करने सोमवार को समेली आएंगे. जिसकी तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है. कार्यक्रम में अनूप बाबू के कृतित्व व व्यक्तित्व के साथ साथ उनकी रचनाओं पर भी चर्चा-विमर्श किया जायेगा. इस बीच अनूप चेतना मंच से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कुमार मंडल ने कहा कि अनूप बाबू की रचनाओं में समाज का जीवंत रूप दिखता है.
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