– बारिश व धूप से बचने के लिए अस्थायी बस स्टेंड में शेड तक की नहीं है व्यवस्था – पेयजल के लिए भटकते हैं लोग, जहां तहां रोक कर भरे जाते हैं यात्री – करोड़ों की लागत से बना बस स्टैंड बना है कचरा डंपिंग स्थल कटिहार उदामा रहिका में दस वर्ष पूर्व निर्मित करीब चार करोड़ से अधिक की राशि से स्थायी बस स्टैंड कचरा के लिए डम्पिंग स्थल बनकर रह गया है. दस वर्ष बीत जाने के बाद एक भी बस का परिचालन वहां से नहीं किया गया. जिससे शहरवासियों में आक्रोश पनपने लगा है. दूसरी ओर निगम को एक करोड़ चार हजार से अधिक का राजस्व देने वाला मिरचाईबाड़ी स्थित अस्थायी बस स्टैंड में यात्री सुविधा नदारद है. बारिश से बचने के लिए शेड तक की व्यवस्था नहीं है, न ही पेयजल की कोई व्यवस्था है. जिसका नतीजा है कि यात्री पेयजल के लिए जहां तहां भटकते नजर आते हैं. अस्थायी बस स्टैंड मिरचाईबाड़ी केवल नाम का बस स्टैंड रह गया है. बस चालकों की मनमानी कहें या फिर निगम प्रशासन की ढूलमूल रवैया सुबह शहीद चौक, जीआरपी चौक एवं उसके बाद मिरचाईबाड़ी से बस लगाकर यात्रियों को चढ़ाया जाता है. जिसका नतीजा है कि शहर में आये दिन रूक-रूक कर जाम के झाम से लोग परेशान होते हैं. इतना ही नहीं भागलपुर, कोढ़ा, पूर्णिया, फलका से आने वाली बसों को जहां- तहां रोकर जाम लगाया जाता है. इस तरह कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. जहां तहां रोक कर यात्रियों को उतारने के कारण टोटो चालकों द्वारा भागम- भाग की स्थिति में घटना दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. शहर के कई लोगों का कहना है कि हर वर्ष अस्थायी बस स्टैंड का डाक होता है. जिससे नगर निगम प्रशासन को कभी एक करोड़ चार हजार तो कभी एक करोड़ ग्यारह हजार से अधिक का राजस्व प्राप्त होती है. लेकिन यात्रियों के लिए मुकम्मल व्यवस्था के नाम पर कोरम पूरा किया जाता है. स्थायी बस स्टैंड कचरा डम्पिंग स्थल से आसपास के लोगों कर रहे त्राहिमाम बस स्टैंड संघर्ष समिति के संयोजक सह अध्यक्ष त्रिभुवन कुशवाहा, सुंदर कुमार सिंह, रविन्द्र कुमार, धमेन्द्र कुमार, अजय कुमार सिंह समेत आसपास के लोगों का कहना है कि 2015 में उदामा रेखा स्थित स्थायी बस स्टैंड का निर्माण करीब चार करोड़ की राशि से किया गया था. बस स्टैंड प्रांगण में कचरा डम्पिंग स्थल बनाये जाने के कारण उठ रही दुर्गंध से आसपास के लोग बीमारू हो रहे हैं. उनलाेगों द्वारा 2016 से ही डम्पिंग स्थल रोके जाने को लेकर नगर प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन तक आवेदन दिया जाता रहा है. कई बार मोहल्ले के लोगों द्वारा उग्र होकर आक्रोश प्रदर्शन तक किया गया. आपसी सहमति के बाद कुछ दिन कचरा गिराना रोक दिया जाता है. पुन: उसी जगह पर कचरा डम्पिंग कार्य शुरू कर दिया जाता है. कचरा डम्पिंग से होने वाली बीमारी के खतरा से वे भयाक्रांत हैं. डीएम को सौंपा समस्या समाधान को ज्ञापन बस स्टैंड संघर्ष समिति के संयोजक सह अध्यक्ष त्रिभुवन कुशवाहा, सुंदर कुमार सिंह, रविन्द्र कुमार, धमेन्द्र कुमार, अजय कुमार सिंह का कहना है कि 19 मई को फिर से डीएम को नवनिमित बस स्टैंड उदामारेखा से बस परिचालन से सम्बंधित पांच सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा गया है. उनलोगों का कहना है कि मानसून अब दस्तक देने वाला है. ऐसे में कचरा डम्पिंग से होने वाली बीमारी के खतरे की संभावना से गांव के लोग दशहत में हैं. पांच सूत्री मांगों में बस स्टैंड से बस का शीघ्र परिचालन, बस स्टैंड परिसर में कचरा डम्पिंग बंद हो, बस स्टैंड का नामकरण शहीद जगदेव बाबू के नाम पर हो, बस स्टैंड में स्थायी पुलिस चौकी का निर्माण एवं बस स्टैंड के निर्माण में हुए भ्रष्टाचार का उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों पर ठोस कार्रवाई शामिल है. अस्थायी बस स्टेंड में महिलाओं को सबसे अधिक हो रही परेशानी मिरचाईबाड़ी अस्थायी बस स्टेंड से निगम हर वर्ष एक करोड़ से अधिक राजस्व तो ले रहा है. पर यात्रियों को किसी तरह की कोई सुविधा नहीं दे रहा है. जबकि प्रतिदिन हजारों लोगों का यहां से आना जाना होता है. महिलाओं के लिए बाथरूम, शौचालय की व्यवस्था नहीं होने से सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ती है. बैठने की व्यवस्था नहीं हीोने से वृद्ध व बीमार, दिव्यांग भी काफी परेशान हो रहे है. यह स्थिति एक दो माह से नहीं बल्कि दस वर्ष से हो रहा है. पर इस दिशा में न विधायक, सांसद का कोई ध्यान जा रहा है न ही प्रशासनिक पदाधिकारी इस दिशा में कोई पहल कर रहे हैं. ऐसे में यात्रियों में आक्रोश पनप रहा है.
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