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अनमोल धरोहर रूपी डीएस कॉलेज का दो मुख्य द्वार के प्रति गंभीर नहीं है कॉलेज प्रशासन

अनमोल धरोहर रूपी डीएस कॉलेज का दो मुख्य द्वार के प्रति गंभीर नहीं है कॉलेज प्रशासन

– पुस्तकालय के बगल में मिट्टी के अंदर धूल फांक रहा मुख्यद्वार – इंग्लैंड से करीब 1955 में आयात किया गया था मजबूत द्वार, रस्ट प्रूफ है करीब 50 हजार का गेट – सुरक्षित जगहों पर रखने के बजाए खुले में छुपाया गया मिट्टी के अंदर कटिहार अनमोल धरोहर रूपी डीएस कॉलेज के दोनाें मुख्य द्वार के प्रति कॉलेज प्रशासन गंभीर नहीं है. करीब 2017-2018 में एमएलसी अशोक कुमार अग्रवाल द्वारा लगाया गया. डीएस कॉलेज के नये मुख्य द्वार के बाद हटाये गये अधिक वजनी वाला दोनों गेट पर धुल धक्कड़ जमा हुआ है. तीन से चार कॉलेज के प्राचार्य बदले गये लेकिन इसके प्रति किसी ने गंभीरता नहीं दिखायी. यही वजह है कि इंग्लैंड से आयात किया गया दोनों करीब पचास हजार वाला लोहे के गेट में एक पुस्तकालय के समीप मिट्टी के अंदर दबकर रह गया तो दूसरा गेट प्राचार्य आवास में वर्षों से जैसे तैसे रखा गया है. शिक्षकों व कर्मचारियों की माने तो यह दोनों मुख्य द्वार करीब 1955 में विदेश इंग्लैंड से आयात कर डीएस कॉलेज के दोनों मुख्यद्वार पर लगाया गया था. दोनों लोहे के गेट की विशेषता को लेकर अंदाज लगाया जाता है कि लोहे के गेट में जंक तक नहीं लगता है. साथ ही बहुत ज्यादा वजनदार है. इसे उठाने में करीब छह से सात लोगों की आवश्यकता होती है. कॉलेज प्रशासन इसको लेकर इतना निष्क्रीय है कि अनमोल धरोहर रूपी गेट को सुरक्षित जगहों पर रखने के बजाये मिट्टी के अंदर दबी है. मालूम हो कि पूर्णिया विवि के अस्तितत्व में आने के बाद करीब 2017-18 में सड़क निर्माण के समय उक्त गेट गिर गया था. शिकायत पर एमएलसी अशोक कुमार अग्रवाल की पहल पर नया गेट तो लगाया गया. लेकिन आज तक विदेशी दोनों गेट की अहमियत कॉलेज प्रशासन द्वारा भूला दिया गया. एक सप्ताह पूर्व कॉलेज परिसर से बाहर ले गया था गेट ————————————————————————- एक सप्ताह दस दिन पूर्व प्राचार्य आवास में रखे एक वजनी गेट को दिन के करीब 11 से 12 बजे के करीब कॉलेज प्रशासन के मौखिकआदेश पर ठेला पर कॉलेज परिसर से बाहर ले जाया गया. पुन: तीन से चार दिन के अंदर में 11 से 12:30 बजे दिन में उक्त वजनी गेट को ठेला पर ही लाकर रख दिया गया. तब से ही शिक्षाविदों में चर्चा का विषय बना हुआ है. शिक्षाविदों में अलग-अलग बात सरेआम हो रही है. किसी के द्वारा कहीं और तो कहीं और ले जाने की बात हो रही है. शिक्षाविदों के बीच चर्चा इस बात की है कि अगर कॉलेज से बाहर उक्त गेट को ले जाया गया तो पुन: उसे लाया क्यों गया यह जांच का विषय है. कुलपति से अभाविप ने मामले को गंभीरता से लेने की मांग की ———————————————————————- अभाविप के प्रदेश सह प्रांत मंत्री विनय कुमार सिंह ने पीयू कुलपति को विदेशी गेट से अवगत कराते हुए इसे गंभीरता से लेने की मांग की है. उन्होंने अवगत कराया कि पूर्व के शिक्षकों व कर्मचारियों का कहना है कि 1955 में लगाया गया विदेशी दोनों गेट डीएस कॉलेज में अनमोल धरोहर के रूप में संजोय कर रखने की जरूरत है. लेकिन पूर्व के कॉलेज प्रशासकों द्वारा इसे गंभीरता से नहीं लेने और कॉलेज से बाहर ले जाना कहीं न कहीं उनके नियती काे दर्शाता है. इस मामले में उच्चस्तरीय जांच कर सम्बंधित शिक्षकों व कर्मचारियाें के विरूद्ध कार्रवाई करने की जरूरत है. नहीं है इसकी किसी तरह की जानकारी ——————————————— डीएस कॉलेज में इंग्लेेंड विदेश से दो मुख्य द्वार मंगाये गये है. इसकी जानकारी नहीं है. अगर है तो यह सचमुच डीएस कॉलेज के लिए अनमोल धरोहर है. वे अतिरिक्त प्रभार में है. इसकी जानकारी स्थायी प्राचार्य के आने पर देंगे. प्राचार्य आवास से वजनी गेट कॉलेज परिसर से बाहर गया है या नहीं इसकी भी उन्हें जानकारी नहीं है. शैलेन्द्र कुमार उपाध्याय, प्रभारी प्राध्यापक, डीएस कॉलेज

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