ठाकुरगंज. चिकेननेक की सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को अलुआबाड़ी रोड और न्यू जलपाईगुड़ी के बीच तीसरी और चौथी रेल लाइन को मंजूरी दे दी है. यह निर्णय पूर्वोत्तर क्षेत्र में रेल कनेक्टिविटी बढ़ाने में एक उल्लेखनीय माइलस्टोन है. बताते चले पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के क्षेत्राधिकार में 57 किलोमीटर की कुल लंबाई में फैली इस परियोजना को लगभग 1,786 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर मंजूरी दी गई है. इस परियोजना का उद्देश्य देश के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक में परिवहन बुनियादी संरचना की बढ़ती मांग को पूरा करना है. बढ़ी हुई रेल क्षमता न केवल मौजूदा बुनियादी संरचना पर बोझ को कम करेगी बल्कि चाय, लकड़ी और कृषि उत्पादों जैसे सामग्रियों के परिवहन को भी सुगम बनाएगी.
दिल्ली-गुवाहाटी हाई डेनसिटी नेटवर्क मार्ग है यह परियोजना
बताते चले यह परियोजना दिल्ली-गुवाहाटी हाई डेनसिटी नेटवर्क मार्ग का हिस्सा है और भूटान, बांग्लादेश एवं नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के निकट होने के कारण इसका रणनीतिक महत्व है, जो इन पड़ोसी क्षेत्रों तक महत्वपूर्ण पहुंच प्रदान करती है. यह रेल लाइन बिहार के किशनगंज को पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग एवं उत्तर दिनाजपुर जिलों से जोड़ती है एवं यात्री और माल परिवहन दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण लिंक के रूप में कार्य करती है.इस योजना में सात स्टेशन शामिल
बताते चले अलुआबाड़ी रोड-न्यू जलपाईगुड़ी के 57 किलोमीटर में धुलाबाड़ी, मंगुरजान, तीनमाइल हाट, धूमडांगी, चतरहाट, निजबारी और रंगापानी स्टेशन के साथ 99 पुल और 3 रोड ओवर ब्रिज और 8 रोड अंडर ब्रिज का निर्माण शामिल होगा. परियोजना का उद्देश्य 21.6 मिलियन टन अतिरिक्त माल की आवाजाही को सुविधाजनक बनाना है. जिससे लॉजिस्टिक लागत में 2,551 करोड़ रुपये की बचत होगी. यह प्रति वर्ष 2.14 करोड़ लीटर डीजल की बचत कर ईंधन संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है