किशनगंज.
समाहरणालय स्थित कार्यालय वेश्म में डीएम विशाल राज व कर्नल मनोज राठी, कमांडिंग ऑफिसर, बेंगडुबी मिलिट्री स्टेशन, सिलीगुड़ी की संयुक्त अध्यक्षता में संभावित बाढ़ की तैयारियों को लेकर समन्वय बैठक हुई. इस अवसर पर सेना की ओर से 10 सदस्यीय दल उपस्थित रहा, जिसका उद्देश्य आपदा की स्थिति में राहत व बचाव कार्यों के लिए सेना व जिला प्रशासन के मध्य रीयल टाइम समन्वय स्थापित करना था. बैठक में डीएम ने विगत वर्ष की बाढ़ स्थिति व उससे निपटने के लिए किए गए कार्यों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला. विशेषकर कम्युनिटी किचन की उपयोगिता पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि आपदा की स्थिति में जब प्रभावित लोग अपने घरों को छोड़ने को विवश होते हैं, उस समय सामुदायिक रसोई एवं चिकित्सा सुविधा अत्यंत उपयोगी सिद्ध होती है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि गत वर्ष मदरसा भवन से लाउडस्पीकर के माध्यम से बाढ़ से संबंधित सूचनाएं प्रसारित कर आमजन को समय पर सतर्क किया गया था. जिला आपदा प्रबंधन पदाधिकारी द्वारा किशनगंज जिले की भौगोलिक संरचना, वर्षा संबंधी आंकड़े एवं बाढ़ की संवेदनशीलता के संबंध में जानकारी दी गई. उन्होंने बताया कि किशनगंज बिहार का सर्वाधिक वर्षा प्राप्त करने वाला जिला है. बैठक में निर्णय लिया गया कि बाढ़ पूर्व सभी तैयारियों की पुनः समीक्षा सुनिश्चित की जाएगी तथा जिला प्रशासन एवं सैन्य इकाइयों के बीच बेहतर समन्वय बनाकर संभावित आपदा की स्थिति में त्वरित एवं प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जाएगी.प्रशासन की ओर से की गयी व्यवस्था
र्तमान में 9812 पॉलिथीन शीट्स उपलब्ध हैं, जबकि 3500 अतिरिक्त शीट्स की अधियाचना की गई है. 08 सरकारी नावें परिचालन योग्य हैं तथा एस डी आर एफ के पास 07 मोटर वोट उपलब्ध हैं साथ ही 37 निजी नाव मालिकों से अनुबंध किया गया है.
कुल 220 राहत शिविर व 220 सामुदायिक रसोई केंद्रों की पहचान कर ली गई है. जिले के सभी अंचलों में बाढ़ आश्रय स्थलों की पहचान कर ली गई है. जिला आपात अनुक्रिया-सह-प्रशिक्षण केंद्र: किशनगंज अंचल अंतर्गत महेशबथना में स्थित एसडीआरएफ भवन को जिला आपात अनुक्रिया सुविधा-सह-प्रशिक्षण केंद्र के रूप में स्थायी रूप से आवासित किया गया है. हैलोजन टैब समेत 31 प्रकार की दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं. कुल 8 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 74 स्वास्थ्य शिविर तथा 11 मोबाइल चिकित्सीय दल सक्रिय हैं. जिले के 14 स्थानों पर कटाव निरोधक कार्य प्रगति पर हैं, जिनमें ठाकुरगंज के अंतर्गत माखानपुर, दिघलबैंक में फुलगाछी, कांटा टप्पू, गुआबाड़ी; टेढ़ागाछ में हरहरिया, सुहिया हाट, देवरीखास, धापरटोला, लोधाबाड़ी; बहादुरगंज में सतमेरी, निशन्द्रा, सखुआबाड़ी, नवटोली; एवं किशनगंज अंचल में बेलवा प्रमुख हैं. चारा, दवाएं एवं अस्थायी पशु शिविरों की समुचित व्यवस्था की गई है. बाढ़ पूर्व संवेदनशील एवं अतिसंवेदनशील स्थलों की पहचान कर अस्थायी झोपड़ियाँ, बालू भंडारण, बालू भरे बोरे एवं बाढ़ सामग्री का पूर्व भंडारण किया जा रहा है. आवश्यकता अनुसार संघर्षात्मक कार्य भी सुनिश्चित किए जाएंगे. ग्रामीण कार्य विभाग प्रमंडल, किशनगंज-1 द्वारा सूचित किया गया कि वर्ष 2024-25 में बाढ़ से 62 पथ क्षतिग्रस्त हुए थे, जिनका मोटेरेबुल कार्य कर यातायात पुनः सुचारू किया गया है. पुल-पुलिया के वेंट की सफाई भी की जा रही है. बाढ़/अतिवृष्टि से पथों के क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में तत्काल मोटेरेबुल कराए जाने की योजना है. नेपाल से सटी सीमा के सिमावर्ती प्रखंडों में संभावित बाढ़ के दौरान त्वरित कार्रवाई हेतु रैपिड रिस्पॉन्स टीम गठन का निर्देश जिला प्रशासन द्वारा दे दिया गया है. संभावित आपदा की स्थिति में सैनिक सहयोग सुनिश्चित करने हेतु ठाकुरगंज में 19वीं बटालियन एवं दिघलबैंक में 12वीं बटालियन की तैनाती सुनिश्चित की गई है.
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