किशनगंज. ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने और समुदाय को स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण के प्रति जागरूक करने की दिशा में ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) एक कारगर पहल बनकर उभरा है. यह दिवस न केवल एक आयोजन है, बल्कि यह गांव के हर वर्ग को स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ने का एक मंच है, जहां समुदाय आधारित निवारक और देखभाल सेवाएं सुलभ कराई जाती हैं. इस आयोजन के तहत प्रजनन स्वास्थ्य, मातृत्व देखभाल, नवजात और बाल स्वास्थ्य, किशोर स्वास्थ्य, संचारी और गैर संचारी रोगों की पहचान और परामर्श जैसी मूलभूत सेवाएं ग्रामीण स्तर तक पहुंचाई जाती हैं. इसके साथ ही पोषण संबंधी जागरूकता, शारीरिक विकास की निगरानी, स्तनपान और पूरक आहार के लाभ, मातृ पोषण एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व भी बताया जाता है.
ग्रामीणों की दहलीज पर दस्तक देती स्वास्थ्य सेवाएं
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया कि जिले में हर महीने चिह्नित आंगनबाड़ी केंद्रों पर वीएचएसएनडी सत्र आयोजित किए जाते हैं. इन सत्रों की योजना स्थानीय एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आशा कार्यकर्ता द्वारा लाभार्थियों की सूची के आधार पर बनाई जाती है. लाभार्थियों को सत्र से एक दिन पहले सूचित किया जाता है और केंद्रों पर सेवाओं से संबंधित जानकारी भी प्रदर्शित की जाती है. इन सत्रों में चार घंटे की अवधि तय होती है, जिसमें कम से कम एक घंटा समूह परामर्श के लिए निर्धारित होता है. डॉ. चौधरी ने कहा कि स्वास्थ्य और पोषण को लेकर हम सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है. सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं जैसे एकीकृत बाल विकास योजना, मध्याह्न भोजन, लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली, स्वच्छ भारत अभियान आदि के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई भी महिला या बच्चा जरूरी पोषण और स्वास्थ्य सेवा से वंचित न रहे.सभी को साथ लेकर चल रही है स्वास्थ्य यात्रा
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेन्द्र कुमार ने बताया कि आरोग्य दिवस पर जिले के हर प्रखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों में एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी सेविकाओं की टीम गर्भवती महिलाओं की जांच करती है. इसमें एनीमिया की पहचान, टीकाकरण, प्रसव पूर्व परामर्श, और उच्च जोखिम वाली गर्भवस्थाओं की विशेष निगरानी की जाती है. इसके साथ ही धात्री माताओं को शिशु को स्तनपान कराने की उपयोगिता और जरूरी जानकारी भी दी जाती है. उन्होंने कहा कि शिशु के पहले छह महीने केवल स्तनपान ही पर्याप्त है, इससे उन्हें संक्रमण से बचाया जा सकता है. यही नहीं माताओं को प्रोटीन युक्त आहार लेने की सलाह दी जाती है ताकि गर्भावस्था और प्रसव काल में किसी प्रकार की कमजोरी न हो.टेलीमेडिसीन: ग्रामीणों के लिए मुफ्त परामर्श की नयी राह, अब इलाज की दूरी खत्म
जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने बताया कि वीएचएसएनडी न केवल एक दिवस विशेष है, बल्कि यह स्वास्थ्य सेवाओं की श्रृंखला का एक हिस्सा है, जिसमें टेक्नोलॉजी का भी उपयोग किया जा रहा है. अब ग्रामीण मरीज टेलीमेडिसीन के माध्यम से घर बैठे सरकारी चिकित्सकों से परामर्श ले सकते हैं. इसके लिए अस्पताल जाने की आवश्यकता नहीं होती. यह सेवा सप्ताह के सभी दिन उपलब्ध है और लोगों को मुफ्त में इलाज मिल रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि टेलीमेडिसीन के माध्यम से गर्भवती महिलाओं, किशोरियों, बुजुर्गों और बच्चों को आसानी से समय पर परामर्श मिल रहा है, जिससे समय और संसाधनों की बचत भी हो रही है.मातृत्व हो सुरक्षित, शिशु रहें स्वस्थ ही है असली सेवा का अर्थ. डा राज कुमार चौधरी ने कहा कि संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए विभाग लगातार प्रयासरत है, लेकिन केवल विभागीय पहल से ही लक्ष्य पूरे नहीं हो सकते. इसके लिए ग्रामीण परिवारों की जागरूकता और सक्रिय सहभागिता आवश्यक है. उन्होंने कहा कि गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व प्रबंधन, समय पर जांच और सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग करना सुरक्षित मातृत्व की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम है. ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस वास्तव में एक समग्र ग्रामीण स्वास्थ्य अभियान का हिस्सा है. इसमें सरकारी विभागों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, स्वास्थ्यकर्मियों और स्वयंसेवी संस्थाओं की संयुक्त भूमिका इसे सफल बनाती है. यदि समाज के सभी वर्ग इस पहल से सक्रिय रूप से जुड़ते हैं, तो ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव अवश्य आएगा.
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