किशनगंज बुधवार को विश्व मानव तस्करी निषेध दिवस पर पांजीपाड़ा में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के तत्वावधान में राहत संस्था और जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के संयुक्त सहयोग से एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया. इस सेमिनार का उद्देश्य मानव तस्करी की रोकथाम, पीड़ितों के बचाव और इस जघन्य अपराध के प्रति जागरूकता बढ़ाना था. कार्यक्रम में स्थानीय समुदाय, बीएसएफ अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. सेमिनार की शुरुआत राहत संस्था की सेक्रेटरी फरजाना बेगम के भाषण से हुई. उन्होंने कहा कि मानव तस्करी एक वैश्विक समस्या है, स्थानीय समुदाय से अपील की कि वे संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तुरंत प्रशासन को दें ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके. सेमिनार में बीएसएफ के डिप्टी कमांडेंट महेंद्र सिंह ने कहा कि बीएसएफ सीमा पर निगरानी बढ़ाने के साथ-साथ तस्करी और घुसपैठ जैसी अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता सीमा की सुरक्षा के साथ-साथ मानव तस्करी जैसे अपराधों को रोकना है. सामाजिक कार्यकर्ता मदन सरकार कहा कि भारत सरकार ने मानव तस्करी के खिलाफ सख्त कानून बनाए हैं, जिनमें ट्रैफिकिंग ऑफ पर्सन्स (प्रिवेंशन, प्रोटेक्शन एंड रिहैबिलिटेशन) बिल शामिल है. यह बिल पीड़ितों के संरक्षण और पुनर्वास के लिए विशेष प्रावधान प्रदान करता है. कानून का प्रभावी कार्यान्वयन और सामुदायिक सहयोग ही इस समस्या का समाधान कर सकता है. एसएम बिपुल भूमिक ने कहा कि बीएसएफ न केवल सीमा की रक्षा करती है, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में सुरक्षा की भावना को बढ़ाने के लिए भी काम करती है.एमएम दानिश महिलाओं और बच्चों के लिए चलाई जा रही योजनाओं, जैसे उज्ज्वला योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, पर प्रकाश डाला. इन योजनाओं का उद्देश्य पीड़ितों को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाना है. सेमिनार में उपस्थित लोगों ने इस आयोजन को मानव तस्करी के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम बताया. इस कार्यक्रम में बीएसएफ के जवानों ने भी बार्डर पर चल रहे मानव तस्करी को रोकने के लिए सुझाव दिए .
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