महादलित टोला में बाल विवाह पर रोक को लेकर चलाया जागरूकता अभियान
लखीसराय. जिला मुख्यालय पुरानी बाजार धर्मरायचक वार्ड नंबर सात मुसहरी टोला में महिला एवं बाल विकास निगम के तत्वाधान में संकल्प हब फॉर एंपावरमेंट ऑफ वूमेन के द्वारा बाल विवाह रोकथाम हेतु जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिला मिशन समन्वयक प्रशांत कुमार ने बाल विवाह से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि बाल विवाह होने से बालिका शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, शारीरिक मानसिक एवं आर्थिक नुकसान से कभी उबर नहीं पाता है. बाल विवाह होने से सरकार द्वारा संचालित कई योजनाओं से वंचित हो रहे हैं. उसी में से प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना भी है. ज्यादातर लोगों को यह पता नहीं है कि यह बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए), 2006 के तहत दंडनीय अपराध है. इसमें बाराती और लड़की के पक्ष के लोगों के अलावा कैटरर, साज-सज्जा करने वाले डेकोरेटर, हलवाई, माली, बैंड बाजा वाले, मैरेज हॉल के मालिक और यहां तक कि विवाह संपन्न कराने वाले पंडित और मौलवी को भी अपराध में संलिप्त माना जायेगा और उन्हें सजा व जुर्माना हो सकता है. वित्तीय साक्षरता विशेषज्ञ अमित कुमार ने कहा कि बाल विवाह और कुछ नहीं बल्कि बच्चों के साथ बलात्कार है. 18 वर्ष से कम उम्र की किसी बच्ची से वैवाहिक संबंधों में भी यौन संबंध बनाना यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत बलात्कार है. संस्था की निभा कुमारी ने कहा कि बाल विवाह होने से घरेलू हिंसा जैसी घटना को जन्म देती है. बेटी को बोझ न समझकर उसका अच्छी तरह से परवरिश करें, ताकि वो सशक्त होकर राष्ट्र निर्माण में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर सकें. हेल्पलाइन नंबर 181 के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह महिला हेल्पलाइन नंबर है जिससे मदद ले सकते हैं. प्रभारी जिला समन्वयक कन्हैया कुमार ने बताया कि बाल विवाह होने से मां और बच्ची दोनों कुपोषण का शिकार हो रहा है. कुपोषण का शिकार होने से शारीरिक, मानसिक आर्थिक रूप से परेशानी है, जिसे हम सभी को मिलकर दूर करना है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है