Bihar News: लखीसराय. बिहार की जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था एक बार फिर सामने आयी है. लखीसराय जिले के बड़हिया रेफरल अस्पताल में डॉक्टर की जगह ड्रेसर और गार्ड मरीजों का इलाज कर रहे हैं. ताजा मामला रविवार का है, गोली लगने से घायल युवक को इलाज के लिए बड़हिया रेफरल अस्पताल लाया गया. अस्पताल में तैनात पांच एमबीबीएस डॉक्टरों में से कोई भी डॉक्टर वहां उपस्थित नहीं था. मौके पर सिर्फ होम्योपैथिक डॉक्टर ताहिर अली मौजूद थे. ऐसे में युवक का इलाज किसी डॉक्टर ने नहीं, बल्कि एक ड्रेसर और एक गार्ड ने किया.
ड्रेसर ने निकाली गोली, गार्ड ने किया पट्टी का काम
गोली लगने से घायल युवक को अस्पताल आने के बाद वहां तैनात ड्रेसर ने पहले तो डॉक्टर से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन जब संपर्क नहीं हो पाया तो स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ड्रेसर सुबोध कुमार ने खुद घायल युवक के शरीर से गोली निकाली. अस्पताल के गार्ड राहुल ने युवक की मरहम पट्टी की. इस पूरे मामले में डॉक्टर की भूमिका शून्य रही, जो स्वास्थ्य व्यवस्था की भयावह स्थिति को दर्शाता है.
इमरजेंसी ट्रीटमेंट का प्रशिक्षण नहीं
जब मौके पर मौजूद डॉ. ताहिर अली से इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कुछ बोलने से इनकार कर दिया. हालांकि, उन्होंने इतना कहा, “मेरी ड्यूटी लगाई गई है और मैं अपनी ड्यूटी कर रहा हूँ, लेकिन इमरजेंसी मामलों के इलाज का प्रशिक्षण मुझे नहीं है.” जब उनसे पूछा गया कि घायल युवक की इंजुरी रिपोर्ट कौन बनाएगा, तो उन्होंने बताया कि यह काम डॉक्टर गौरव के द्वारा किया जाएगा.
स्थानीय लोगों में आक्रोश
घटना के बाद स्थानीय नागरिकों में भारी आक्रोश है. लोगों ने जिला स्वास्थ्य विभाग से इस लापरवाही की उच्च स्तरीय जांच और दोषी डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है. साथ ही यह मांग भी उठी है कि बड़हिया अस्पताल में 24 घंटे योग्य डॉक्टरों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए. लखीसराय वही क्षेत्र है जहां से बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा विधायक हैं और मुंगेर लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह सांसद हैं. इतने बड़े नेताओं के निर्वाचन क्षेत्र में अगर अस्पतालों का ये हाल है, तो राज्य के बाकी इलाकों की हालत का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं.