CM Nitish Gift: बिहार के लखीसराय जिले को अब टूरिज्म हब बनाने की तैयारी चल रही है. किउल-हरुहर और गंगा नदी के संगम पर स्थित लखीसराय में धार्मिक और पुरातात्विक संस्कृति का भंडार छिपा हुआ है. बुद्ध, शिव और रामायण सर्किट से जिले के पौराणिक स्थलों को जोड़ने की यहां काफी संभावनाएं है. सरकार पंचायत स्तर पर जितने भी प्राचीन धरोहर हैं, सभी को संरक्षित करने में जुटी है.
टूरिज्म हब बनकर उभरेगा लखीसराय
लखीसराय जिले में प्रशासन पुरास्थल को पर्यटन से जोड़ने में लगा है. अगर इस जिले को बुद्ध, रामायण, शिव सर्किट से जोड़ दिया जाए तो आने वाले दिनों में लखीसराय भी बिहार में टूरिज्म हब बनकर उभरेगा. जिसप्रकार बिहार में राजगीर, नालंदा और बोधगया है.
जिले का लाली पहाड़ी एक धरोहर
नगर परिषद लखीसराय वार्ड नंबर 33 अंतर्गत जयनगर लाली पहाड़ी, रामगढ़ चौक प्रखंड अंतर्गत सत्संडा पहाड़, चानन प्रखंड अंतर्गत बिछवे पहाड़, चानन प्रखंड अंतर्गत घोसीकुंडी पहाड़ी, सूर्यगढ़ा प्रखंड अंतर्गत लय पहाड़ी, रामगढ़ चौक प्रखंड अंतर्गत नोनगढ़ टीला, लखीसराय प्रखंड अंतर्गत बालगुदर टीला. लाली पहाड़ी शहर के वार्ड नंबर 33 जयनगर में स्थित है. यह जिले के महत्वपूर्ण धरोहरों में से एक है. यह स्थान बौद्ध कालीन अवशेषों से भरा हुआ है. लाली पहाड़ी की खुदाई से पता चला है कि यह महिला बौद्ध भिक्षुओं का एक साधना केंद्र था, जिसे श्रीमद् धम्म विहार के नाम से जाना जाता था.
राज्य सरकार ने आवंटित की राशि
खुदाई के दौरान यहां कई प्राचीन वस्तुएं भी मिली हैं. राज्य सरकार ने लाली पहाड़ी पर स्थित खुदाई वाली जगह को संरक्षित करने के लिए करीब तीन करोड़ और पहाड़ी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए 29 करोड़ की राशि आवंटित की है.
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