लखीसराय.
जिले के कुंदर बराज एलकेवी नहर में पानी छोड़ने के बाद किसानों ने धनरोपनी पीरीबाजार, कजरा, चानन व सदर प्रखंड में शुरू कर दी है. नहर का पानी प्रत्येक जुलाई माह के पहले सप्ताह छोड़ा जाता है, जिससे किसानों को धान की रोपनी करने में आसानी होती है. वैसे किसान जो रोहिणी व उसके बाद वाले नक्षत्र में धान का बिचड़ा गिरा देते हैं. उनके धान का बिचड़ा रोपनी लायक जुलाई माह में तैयार हो जाता है. जिससे किसान जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में रोपाई शुरू कर देते हैं. जिले के पीरीबाजार, कजरा व चानन में अधिकांश धान की खेती नहर पर ही निर्भर करती है. धान की खेती के लिए जब नहर में पानी छोड़ दिया जाता है तो किसान डीजल आदि से अपने खेत का पटवन कर रोपनी का कार्य शुरू कर देते हैं. हालांकि किसानों ने कजरा, पीरीबाजार में धान की रोपनी पहले शुरू कर दिया था. जले में बस बार धान की खेती का लक्ष्य 42 हजार हेक्टेयर में होने का अनुमान है.42 सौ हेक्टेयर में बिचड़ा गिराने का लक्ष्य
जिले में इस बार 42 सौ हेक्टेयर में बिचड़ा गिराने का लक्ष्य है. जबकि अभी तक धान का बिचड़ा 36 सौ हेक्टेयर में गिराया हो चुका है. जबकि बिचड़ा से 10 गुना ज्यादा खेतों में धनरोपनी होगी. जुलाई में धान की रोपनी शुरू हो चुकी है. किसानों को अगर मौसम ने साथ दिया तो धान की की रोपनी का लक्ष्य जुलाई माह के अंत तक पूरा हो सकता है.
बोले अधिकारी
डीएओ सुबोध कुमार सुधांशु ने बताया कि धान की रोपनी शुरू देर से हुई है. पिछले साल के मुकाबले इस साल के जुलाई माह तक वर्षा का अनुपात कम है. वर्षा होने पर जुलाई माह तक लक्ष्य पूरा हो सकता है.
धान की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए किसानों को सुझाव
लखीसराय.
खरपतवार फसल के लिए नुकसानदेह होता है. किसानों को खरपतवार समय-समय पर निकालते रहना चाहिए. धान के बिचड़े को रोपने के बाद तीन दिनों के अंदर खरपतवार को नष्ट करने वाली दवा बूटाकलर ईसी का 50 प्रतिशत ढाई लीटर या प्रति लाचलर ईसी 50 प्रतिशत का 1.25 लीटर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से घोल बनाकर सतह पर छिड़काव करना चाहिए. छिड़काव के समय खेत में हल्का पानी रहना चाहिए. सहायक पौधा संरक्षण उप निदेशक रीमा कुमारी ने बताया कि यदि धान की सीधी बुआई, जैसे जीरो टीलेज या सीड ड्रिल से की जाती है अथवा पैडी ट्रांसप्लांटर से लगायी गयी धान फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए तीन से पांच दिनों के अंदर पेंडिमेथलीन ढाई लीटर अथवा ऑक्सीफ्लोरोफेन का 650 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए. खरपतवार उग जाते हैं तो 15 से 20 दिनों के अंदर 20 बिस्पीरिबक सोडियम का 200 एमएल प्रति हेक्टेयर की दर से खेतों में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए. खरपतवारनाशी का उपयोग निर्धारित समय के अंदर ही करना चाहिए व छिड़काव के लिए यंत्र के नोजल के रूप में फ्लैट फैन नोजल या फ्लड जेट नोजल का ही किसान इस्तेमाल करना चाहिए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है