मधुबनी . स्वचालित कवि गोष्ठी का आयोजन प्रो. जेपी सिंह के निदेशन, रेवती रमण झा की अध्यक्षता व उदय जायसवाल के संचालन में आयोजित की गई. पठित रचनाओं की समीक्षा डॉ. रामदयाल यादव ने किया. कवि गोष्ठी में डेढ़ दर्जन से अधिक रचनाकारों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया. कवि गोष्ठी की शुरुआत मालती मिश्र की रचना संवेदनहीनता से हुई. विभा झा विभासित की सुहासिनी कविता ने स्त्री सौंदर्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया. अनुपम झा की रचना हे कृष्ण सखा सुन व्यथा मेरी अपने ही लुटाए लाज मेरी है, भरी सभा सब देख रहे गांडीव तलवार भी लेट रहे ने द्रौपदी के संताप की मार्मिक स्थिति को सामने लाकर भाव विभोर कर दिया. प्रो. जेपी सिंह की पोटली भर दर्द, शिवनारायण साह पापा का शिक्षा अनमोल, दयाशंकर मिथिलांचली की दिल का जख्म है, .दयानंद झा की झुंडों का सरदार कहा है रचना ने खूब वाहवाही बटोरी. ज्योति रमण झा सावन आया, डॉ. रामदयाल यादव की कथा सम्राट प्रेमचंद का जीवन चरित्र, अनामिका चौधरी की हर भेष में ईश्वर लेते अवतार, भोलानंद झा की जहर के प्याले में मीरा ने कृष्ण को देखा, रेवती रमण झा की रचना बरखाक फुहार ने लोगों को रोमांचित कर दिया. कवि गोष्ठी में सुभाष चन्द्र झा सिनेही, नरेंद्र नारायण सिंह निराला, उदय जायसवाल की करें वृक्षारोपण फैलाएं हरित अभियान, राजेश पाण्डेय की चांद की रोशनी व डॉ. पंकज लोचन सहाय की रचना खूब सराही गयी. अंत में डॉ. आलोकानंद झा के पिता वरिष्ठ शिक्षाविद् विद्यानंद झा के निधन पर शोक प्रस्ताव रखा गया.
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