मधुबनी.
जिले में अवैध नर्सिंग होम, पैथ लैब व अल्ट्रासाउंड का धड़ल्ले से संचालन हो रहा है. जिला मुख्यालय हो या फिर प्रखंड क्षेत्र का कस्बाई बाजार सभी जगहों पर अवैध नर्सिंग होम का कारोबार कुकुरमुत्ते की तरह फैला हुआ है. जिला प्रशासन की ओर से इस पर नकेल कसने की तैयारी शुरू कर दी गयी है. प्रशासन ने सख्त रुख अपना जिला मुख्यालय सहित प्रखंड स्तर पर संचालित वैध व अवैध सभी नर्सिंग होम व सभी तरह के जांच घरों की जांच के लिए 12 सदस्यीय धावा दल का गठन किया है. वहीं, स्वास्थ्य विभाग की ओर से पिछले एक साल में जून 2025 तक जिले के लगभग 112 अवैध नर्सिंग होम व पैथ लैब संचालकों पर अर्थदंड के साथ प्राथमिकी दर्ज करायी. इससे स्वास्थ्य विभाग को लगभग 56 लाख हजार रुपये राजस्व की प्राप्ति हुई है, जबकि आठ अल्ट्रासाउंड लाइसेंस को निरस्त किया गया. डीएम के निर्देश के आलोक में सिविल सर्जन ने विभिन्न प्रखंडों में संचालित अवैध नर्सिंग होम, लैब, अल्ट्रासाउंड व एक्स-रे की जांच के लिए धावा दल का गठन किया है. इस संबंध में सिविल सर्जन डाॅ. हरेंद्र कुमार ने कहा कि मुख्यालय सहित प्रखंडों में अवैध रूप से संचालित नर्सिंग होम, अल्ट्रासाउंड, लैब एवं एक्सरे की जांच के लिए धावा दल का गठन किया गया है. बिना लाइसेंस व मानक के अनुरूप संचालित नहीं होने वाले संस्थानों की शिनाख्त के लिए यह कार्रवाई अनवरत जारी रहेगा.मरीजों से ली जाती है मोटी रकम
जिला मुख्यालय के अलावा विभिन्न प्रखंड मुख्यालयों व कस्बाई बाजारों में दर्जनों अवैध नर्सिंग होम संचालित है. कई नर्सिंग होम के आगे एमबीबीएस डॉक्टर का बोर्ड लगा दिया जाता है. लेकिन वहां इलाज झोलाछाप डॉक्टर ही करते हैं. हद तो तब हो जाता है, जब कई झोलाछाप नर्स अपने नर्सिंग होम के आगे स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ का बोर्ड लगा देती है. अवैध नर्सिंग होम संचालक के नेटवर्क में आशा, ममता एवं एंबुलेंस चालक शामिल होता है. जो अपनी कमीशन मे मोटी राशि लेकर भोले – भाले मरीजों को सरकारी अस्पतालों से नर्सिंग होम में पहुंचाता है़ जहां इलाज के दौरान मरीज का आर्थिक दोहन किया जाता है.
नर्सिंग होम संचालन के लिए तय मानदंड
सिविल सर्जन डॉ. हरेंद्र कुमार ने कहा कि जिले में सिविल सर्जन कार्यालय द्वारा 310 सरकारी व निजी अस्पताल, नर्सिंग होम, लैब, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड व क्लीनिक निबंधित है. इसमें सरकारी स्वास्थ्य संस्थान 111, नर्सिंग होम 69, लैब 48, एक्स-रे 19, एकल प्रैक्टिशनर 43, व एक मेडिकल कॉलेज शामिल है. नर्सिंग होम, लैब, अल्ट्रासाउंड एवं एक्स-रे के लिए सबसे पहले क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है. इसके बाद नर्सिंग होम संचालन के लिए स्पेशलिस्ट डॉक्टर, प्रशिक्षित असिस्टेंट, ए ग्रेड स्टाफ नर्स, हवादार भवन, दो गेट, खिड़की युक्त मरीज का कमरा, हाइजिनिक साफ-सफाई, प्रदूषण मुक्त वातावरण, अग्निशमन का प्रबंधन, बायो मेडिकल वेस्ट के साथ-साथ वार्ड बॉय, साफ सुथरा वाशरूम एवं बैठने के लिए हवादार जगह अनिवार्य है. इन मानदंडों पर दो चार नर्सिंग होम को अपवाद में छोड़ दें तो शायद ही कोई पूरा करता दिखता है.लोगों की जान से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं मिलेगी
सिविल सर्जन ने कहा कि अवैध कारोबार में शामिल संचालकों पर शिकंजा कसा जाएगा. शिकायत मिलने पर इन अवैध नर्सिंग होम अल्ट्रासाउंड क्लीनिक को सील कर अर्थदंड के साथ ही संचालक पर प्राथमिकी भी दर्ज की जाएंगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है