मधुबनी.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी को सशक्त बनाने वाली जीविका परियोजना आज मिसाल बन चुकी हैं. मधुबनी की छह लाख महिलाएं जीविका परियोजना से जुड़कर न केवल स्वावलंबन की राह पर अग्रसर हो रही हैं, बल्कि अपनी आर्थिक स्थिति में भी बड़ा बदलाव ला रही हैं. विशेष रूप से कृषि आधारित स्वरोजगार के जरिए दो लाख से अधिक महिलाएं आत्मनिर्भर बन चुकी हैं.कृषि क्षेत्र में दीदियों की मजबूत भागीदारी
कृषि विभाग के साथ समन्वय कर कस्टम हायरिंग सेंटर संचालित किए जा रहे हैं. इसके साथ ही कृषि उद्यमों की स्थापना की गयी है, जिससे ग्रामीण महिलाएं अब खेती को व्यावसायिक रूप में अपना रही हैं.पशुपालन व मत्स्य पालन से बढ़ रही आय
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के सहयोग से मधुबनी में मुर्गी, बकरी और गाय पालन योजनाएं तेजी से बढ़ी हैं. अब तक पचास हजार परिवार मुर्गी व बकरी पालन और साठ हजार परिवार दुग्ध उत्पादन से जुड़े हैं. पशु सखियों को प्रशिक्षण देकर उन्हें बकरी पालन परिवारों की सेवा में लगाया गया है.बचत, बैंकिंग और बीमा से मिली आर्थिक सुरक्षा
2006 से स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं, जिनमें दो लाख से अधिक महिलाएं जुड़ी हैं. बैंकों से करोड़ रुपये का ऋण इन समूहों को प्रदान किया गया है. इसके अलावा सदस्यों का बीमा भी किया गया है. बैंक सखियों को प्रशिक्षित कर ग्राहक सेवा केंद्र खोलने की तैयारी की जा रही हैं, जो गांवों में डिजिटल बैंकिंग की पहुंच बना रही हैं.
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