मधुबनी.
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित श्रीमत भागवद्गीता प्रवचन माला के दूसरे दिन प्रवचनकरता भगवताचार्या राजयोगिनी कंचन दीदी ने बताया कि मानव जीवन में सर्व दुखों का कारण है पांच विकार जिसके हम सब अधीन हैं. कोई व्यक्ति या परिस्थिति हमें दुःख नहीं देता. बल्कि आत्म विकारों से ग्रस्त होने के कारण दुःखी हैं. आध्यात्मिक ज्ञान ही इन विकारों से छुटकारा दिला सकता है. आत्मिक शक्ति ही स्थिर संपत्ति है. आत्मा के अंदर सात गुण विराजमान है. जब सात गुण भरपूर रहते हैं तो आत्मा की बैटरी चार्ज रहती है. सात गुणों का लेवल जब कम होता है तो आत्मा की बैटरी डिस्चार्ज हो जाती है. आज सात गुणों की कमी होने के कारण अनेक प्रकार का संघर्ष है. जब सात गुणों से बैटरी चार्ज हो जाती है तो आत्मा सशक्त बनकर अपने स्व स्थिति पर विजय प्राप्त करने लगती है. मनुष्य जब विषयों का चिंतन करता है तब कामनाएं उत्पन्न होती है. कामना पूर्ति न होने से क्रोध पैदा होता है. क्रोध से अविवेक उत्पन्न होता है. तदोपरान्त योग पारायण बुद्धि नष्ट हो जाती है. इसीलिए मन की चंचलता को समाप्त करने का साधन है आत्म चिंतन और परमात्मा चिंतन.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है