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Madhubani News : आयरन की कमी से शारीरिक व मानसिक विकास हो रहा अवरुद्ध

नवजात शिशुओं के शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध होने में एनीमिया सबसे बड़ा कारक है.

मधुबनी.

नवजात शिशुओं के शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध होने में एनीमिया सबसे बड़ा कारक है. वहीं, किशोरियों व माताओं में कार्य करने की क्षमता में भी कमी आ जाती है. यह बातें सिविल सर्जन डॉ. हरेंद्र कुमार ने कही. सीएस ने कहा कि इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय पोषण अभियान के अंतर्गत ‘एनीमिया मुक्त भारत’ कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है. इस कार्यक्रम के तहत विभिन्न आयु वर्ग के समूहों को चिह्नित कर उन्हें एनीमिया से मुक्त करने की पहल की जा रही है.

आयरन की कमी से शारीरिक विकास हो रहा अवरुद्ध

इस अभियान के तहत विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों, किशोर, किशोरियों, महिलाएं एवं गर्भवती महिलाओं को लक्षित किया गया है. कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जिला के निवासियों को एनीमिया जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव करना है. एनीमिया में प्रतिवर्ष 3 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए 6 आयु वर्ग, 6 प्रयास एवं 6 संस्थागत व्यवस्था की गयी है. यह रणनीति आपूर्ति श्रृंखला, मांग पैदा करने और मजबूत निगरानी पर केंद्रित है. खून में आयरन की कमी होने से शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है. इसके लिए सभी को आयरन एवं विटामिन ‘सी’ युक्त आहार का सेवन करना चाहिए. इसमें आंवला, अमरुद एवं संतरे प्राकृतिक रूप से प्रचुर मात्रा में मिलने वाले स्रोत हैं.

एनीमिया की रोकथाम के लिए दी जाती है दवा

एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत सभी 6 आयु वर्ग के लोगों में एनीमिया रोकथाम का प्रयास किया जा रहा है. इसमें 6 से 59 महीने के बच्चों को सप्ताह में दो बार आईएफए की 1 मिलीलीटर सीरप आशा कार्यकताओं द्वारा निःशुल्क दी जाती है. 5 से 9 आयु वर्ग के बच्चों एवं और बच्चियों को प्रत्येक सप्ताह आईएफए की एक गुलाबी गोली दी जाती है. यह दवा प्राथमिक विद्यालयों में प्रत्येक बुधवार को मध्याह्न भोजन के बाद शिक्षकों के माध्यम से निःशुल्क दी जाती है. साथ ही 5 से 9 वर्ष तक के वैसे बच्चे जो स्कूल नहीं जाते हैं, उसे आशा कार्यकर्ताओं द्वारा गृह भ्रमण के दौरान उसके घर पर आईएफए की गुलाबी गोली खिलाई जाती है. 10 से 19 आयु वर्ग के किशोर और किशोरियों को प्रत्येक सप्ताह आईएफए की 1 नीली गोली दी जाती है. इसे विद्यालयों पर प्रत्येक बुधवार को भोजन के बाद शिक्षकों के माध्यम से निःशुल्क दी जाती है. 20 से 24 वर्ष के प्रजनन आयु वर्ग की महिलाओं को आइएफए की एक लाल गोली हर हफ्ते आरोग्य स्थल पर आशा के माध्यम से निःशुल्क दी जाती है.

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