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Madhubani News : लू के थपेड़ों से रखें खुद को सुरक्षित, मौसमी फल व ताजी सब्जियों का करें सेवन

तापमान में वृद्धि होते ही गर्म हवा का कहर बढ़ने लगा है.

मधुबनी

. तापमान में वृद्धि होते ही गर्म हवा का कहर बढ़ने लगा है. इस कारण लू लगने की संभावनाएं बढ़ गयी है. बढ़ते तापमान के साथ चल रही गर्म तेज हवा से शरीर को सुरक्षित रखने के लिए खान-पान के साथ दैनिक दिनचर्या में बदलाव जरूरी है. साथ ही नवजात शिशुओं एवं गर्भवती महिलाओं के पोषण में सुधार कर गर्मी के दुष्परिणामों से सुरक्षा प्रदान की जा सकती है.

छह माह तक के शिशुओं का कराएं स्तनपान

सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विवेकानंद पॉल ने कहा कि 6 माह तक के शिशुओं के लिए सिर्फ स्तनपान ही पर्याप्त होता है. गर्मी के कारण स्तनपान के साथ किसी भी तरह का तरल पेय पदार्थ या पानी बच्चों को नहीं देना चाहिए. गर्मी के मौसम में अधिक से अधिक बार स्तनपान कराकर गर्मी के कारण होने वाली विभिन्न समस्याओं से बच्चों को सुरक्षित रखा सकता है. साथ ही गर्भवती महिलाओं को गर्मी के मौसम में लू से बचने के लिए पोषक तत्वों के सेवन के अलावे प्रचुर मात्रा में पानी एवं मौसमी फल और ताजी सब्जियों का सेवन जरूर करना चाहिए.

ऐसे पहचाने लू के लक्ष्ण

सिर में तेज दर्द का होना, उल्टी या जी मचलाना, बुखार होना, त्वचा का लाल गर्म एवं सूखा होना, पसीना नहीं चलना, बेहोशी या चक्कर आना, घबराहट या संशय का बढ़ जाना, अत्यधिक आलस या सुस्ती का होना लू के लक्षण हैं.

दैनिक दिनचर्या व आहार परिवर्तन जरूरी

सीएस ने कहा कि गर्मी के बढ़ने से पसीना चलना शुरू होता है. इससे शरीर में पानी की मात्रा में तेजी से कमी आती है. इसलिए इस मौसम में प्रचुर मात्रा में पानी का सेवन करना फायदेमंद है. साथ ही मौसमी फल और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन भी शरीर में पानी की मात्रा को संतुलित करने में सहायक होता है.

लू लगने पर चिकित्सकीय परामर्श लें

सिविल सर्जन डॉ. हरेंद्र कुमार ने कहा कि दोपहर में घर से निकलने से बचना चहिए या अधिक धूप की स्थिति में छाता का उपयोग करना चहिये. लू लगने की स्थिति में चिकित्सकीय परामर्श जरूरी है. प्राथमिक उपचार के तौर पर लू लगने पर ओआरएस का घोल पीना चाहिए. ताकि अतिसार से बचा जा सके. इसके इलाज के लिए जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों व जिला अस्पताल में पर्याप्त सुविधा उपलब्ध करायी गयी है. हीट स्ट्रोक से होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए सीएस ने अधीक्षक सहित प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है. सीएस ने सभी स्वास्थ्य संस्थानों में आइवी फ्लुड व ओआरएस प्रयाप्त मात्रा में रखने का निर्देश दिया है.

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