मुजफ्फरपुर. 60 डेसीबल से अधिक ध्वनि मनुष्य के लिए हानिकारक माना गया है, लेकिन शहर के कुछ कॉलोनियों को छोड़ दे तो ऐसा कोई भी इलाका नहीं है, जहां मानक के अनुसार ध्वनि की तीव्रता हो. शहर में सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषण मोतीझील में है. यहां की ध्वनि करीब 94 डेसिबल है, जो शहर के विभिन्न मार्केट की अपेक्षा सबसे अधिक है. रविवार को विभिन्न चौक-चौराहों पर दोपहर दो से सवा तीन तक ध्वनि मापक यंत्र से ध्वनि की तीव्रता रिकॉर्ड की गयी, जिससे विभिन्न जगहों पर ध्वनि की तीव्रता की जानकारी मिली. यंत्र के अनुसार अधिक शोरगुल वाले इलाके में कलमबाग दूसरे नंबर पर और गोला रोड तीसरे नंबर पर है. शहर में ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण गाड़ियों के हॉर्न हैं. जिस सड़क पर जाम लगता है, वहां पर ध्वनि प्रदूषण की तीव्रता बढ़ जाती है. बाइक, कार और बड़ी गाड़ियों के बेवजह हॉर्न से ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है. स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 45 डेसिबल से अधिक की ध्वनि शोर मानी जाती है और यह शोर जितनी बढ़ेगी मनुष्य के सुनने की क्षमता प्रभावित होगी. हालांकि शहर का ऐसा कोई भी बाजार नहीं है, जहां ध्वनि की तीव्रता 50 डेसिबल भी हो
दो साल में चार फीसदी बढ़ गया ध्वनि प्रदूषण
शहर में दो साल की अवधि में ध्वनि प्रदूषण चार फीसदी बढ़ गया है. वर्ष 2023 में राधा कृष्ण केडिया की छात्रा अनन्या कुमारी ने अपने प्रोजेक्ट के तहत शहर के विभिन्न जगहों पर जाकर ध्वनि की तीव्रता रिकॉर्ड की थी. उसके इस प्रोजेक्ट के लिये नेशनल चाइल्ड कांग्रेस में पुरस्कृत भी किया गया. उन्हीं जगहों पर दो साल बाद जब ध्वनि की तीव्रता मापी गयी तो इसका खुलासा हुआ है. खास बात यह है कि ध्वनि की तीव्रता अधिक वहीं बढ़ी है, जहां ट्रैफिक लाइट नहीं है. जिन जगहों पर ट्रैफिक लाइट लगी है, वहां गाड़ियों के हॉर्न कम बजते हैं, लेकिन जिन जगहों पर ट्रैफिक लाइट लगी है, वहां यातायात स्मूथ है और ध्वनि प्रदूषण कम होता है. शहर के गोला रोड, अखाड़ाघाट रोड, सरैयागंज टावर, कृष्णा टॉकीज में ध्वनि प्रदूषण पहले से अधिक है.
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