राजस्व चोरी पर लगाम
::: कुछ साल पहले सरकार से सभी जिले के डीएम को मिला था अधिकार, मामले के लंबित होने की बढ़ती संख्या को देख सचिव ने आदेश को किया संशोधित
::: 550 से अधिक मामले लंबित है तिरहुत प्रमंडल के सभी छह जिलों में, बारी-बारी से सभी को भेजा जा रहा है नोटिस
वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
जमीन रजिस्ट्री के दौरान भूमि की किस्म में हेराफेरी कर राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचाने के मामलों में अब प्रमंडलीय सहायक निबंधन महानिरीक्षक (एआइजी) को फिर से कार्रवाई करने का अधिकार सौंप दिया गया है. यह अधिकार कुछ साल पहले सभी जिलों के जिलाधिकारी को दिया गया था. मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के सचिव विनोद सिंह गुंजियाल ने इस संबंध में संशोधित आदेश जारी किया है. इस आदेश के बाद, जिलाधिकारी कार्यालयों में लंबित राजस्व चोरी के मामले अब सहायक निबंधन महानिरीक्षक कार्यालयों में स्थानांतरित होने लगे हैं. तिरहुत प्रमंडल में मुजफ्फरपुर के साथ-साथ पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी और वैशाली जिले शामिल हैं. राजस्व चोरी के साढ़े पांच सौ से अधिक मामले लंबित हैं. सहायक निबंधन महानिरीक्षक कार्यालयों द्वारा अब राजस्व चोरी करने वाले भूमि क्रेताओं को सुनवाई के लिए नोटिस भेजना शुरू कर दिया गया है. इसका उद्देश्य राजस्व में हुई क्षति को जुर्माने सहित तुरंत वसूल करना है. यह कार्रवाई भारतीय मुद्रांक अधिनियम 1899 की धारा 47A(3) और 47A(7) के तहत की जायेगी.
दोनों तरह के दस्तावेजों की एआईजी करेंगे जांच
एआईजी अब रजिस्ट्री से पहले और बाद में राजस्व चोरी का उजागर होने वाले सभी दस्तावेजों की जांच करेंगे. पहले सरकार से उन्हें रजिस्ट्री से पहले के दस्तावेज की ही जांच का अधिकार था. नये आदेश के बाद अब रजिस्ट्री के बाद के दस्तावेजों की भी जांच एआईजी करेंगे.
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