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गैस पाइपलाइन के लिए अधिग्रहित जमीन को नये अधिग्रहण प्रस्ताव से अलग रखा जाये

be kept out of the new acquisition proposal

गैस पाइपलाइन के लिए अधिग्रहित जमीन को नये अधिग्रहण प्रस्ताव से अलग रखा जाये

– पाइपलाइन के पास खाली जमीन उसके मेंटेनेंस के लिए आवश्यक

– एलपीजी अत्यधिक ज्वलनशील होता, इसे दुर्घटना मामले में इसे नियंत्रित करना बहुत मुश्किल है

– पाइपलाइन आरओयू के पास सार्वजनिक भवन का निर्माण नहीं किया जाना चाहिए

वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर

आइओसीएल के ऑपरेशन मैनेजर (ईर्स्टन रिजन पाइपलाइन) ने डीएम को पत्र लिखकर जमीन अधिग्रहण के नये प्रस्ताव से पाइपलाइन के लिए अधिगृहित जमीन को अलग रखने का अनुरोध किया है, जिसमें कहा है कि ऑयल कंपनी इस मामले के समाधान में पूर्ण सहयोग के लिए हमेशा तत्पर रहेगी. अधिकारी ने यह पत्र मोतीपुर अंचल में पाइपलाइन के लिए पहले से अधिग्रहित जमीन को फिर से अधिग्रहण की मंजूरी मिलने के बाद लिखा है. इसमें आइओसीएल के अधिकारी ने विस्तार से जानकारी देते हुए कहा है कि यह जमीन कैसे अधिग्रहित की गयी, भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर कैसे उसका विस्तार किया जाता है, क्यों इतनी अधिक जमीन ली जाती है.

पत्र में बताया कि पाइपलाइन के माध्यम से कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पाद को एक जगह से दूसरे जगह भेजता (परिवहन) है. एलपीजी पाइपलाइन (पीएचबीएमपीएल) की एक ऐसी बेगूसराय जिले से बरौनी रिफाइनरी से समस्तीपुर, वैशाली, मुजफ्फरपुर जिलों के माध्यम से मोतिहारी तक बिछाई गयी है. मुजफ्फरपुर और मोतिहारी एलपीजी बॉटलिंग प्लांट को एलपीजी गैस की आपूर्ति इसी भूमिगत पाइपलाइन से की जाती है. आमतौर पर सतह से 5 से 6 फीट की गहराई पर पाइपलाइन बिछाई गई है. इसके लिए 18 मीटर (60 फिट) चौड़ाई की जमीन के उपयोग का अधिकारी पीएमपी अधिनियम जो 31 अगस्त 2021 को भारत सरकार द्वारा प्रकाशित करके प्राप्त किया गया है, जिसकी प्रति संलग्न की है.

यह पाइपलाइन जिले के मोतीपुर अंचल के रतनपुरा गांव होकर गुजरती है. ग्रामीणों के माध्यम से पता चला कि जिला प्रशासन ने उस जमीन के अधिग्रहण की योजना को मंजूरी दे दी है जो पहले से ही आइओसीएल द्वारा अधिग्रहित की गयी है. पीएमपी अधिनियम 1962 के अनुसार पाइपलाइन बिछाने के लिए अधिग्रहित भूमि पर कोई स्थायी व पक्का निर्माण नहीं किया जा सकता है. एलपीजी एक अत्यधिक ज्वलनशील पदार्थ है और किसी दुर्घटना मामले में इसे नियंत्रित करना बहुत मुश्किल है. इसलिए आग्रह किया है कि पाइपलाइन आरओयू के पास किसी भी सर्वजनिक उपयोग में आनेवाली भवन का निर्माण नहीं किया जाये.

जंगल लगने से बचने के लिए इस पाइपलाइन की समय समय पर मरम्मत की जाती है. इसके लिए पाइपलाइन के ऊपर की मिट्टी को हटाया जाता, उसके ऊपर एक नई कोटिंग परत लगायी जाती है. पाइपलाइन के लिए अधिग्रहित 18 मीटर (60 फिट) पूरा क्षेत्र का उपयोग ऐसे कार्य के लिए किया जाता है. निकट भविष्य में पेट्रोलियम उत्पाद की बढ़ती मांग पूरा करने के लिए भविष्य में पाइपलाइन बिछाने के लिए जगह रखी गयी है. इसके अलावा सड़क, रेलवे, नी के नीचे जहां पाइपलाइन बिछाया जाता है उसकी मोटाई भी ज्यादा रखी जाती है ताकि अतिरिक्त भार का असर पाइपलाइन पर ना पड़े़

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