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Khudiram Bose:सेंट्रल जेल में तैयार कैदी कुर्ता पैजामा का बढ़ा डिमांड, दो शिफ्ट में 100 कैदी कर करे उत्पादन 

सेंट्रल जेल के स्टॉक में 440 कैदी कुर्ता- पैजामा, 433 जंघिया, 260 कैदी गमछा, 90 कैदी चादर, 925 हाजती कुर्ता- पैजामा, 110 हाजती जंघिया, 148 हाजती गंजी, 310 हाजती गमछा और 570 हाजती चादर मौजूद है.

सेंट्रल जेल शहीद खुदीराम बोस (Khudiram Bose) में बंदियों के लिए तैयार की जा रही कुर्ता- पैजामा का सूबे के काराओं में काफी डिमांड है. मुजफ्फरपुर केंद्रीय कारा के अधीन आने वाले सभी मंडल व उप काराओं में बंदियों के बीच में यहां तैयार बंदी कुर्ता, पैजामा, जंघिया, गमछा, चादर, हाजती कुर्ता, हाजती पैजामा, हाजती जांघिया और गंजी के साथ- साथ गमछा,टोपी और चादर की भी सप्लाई की जाती है.

पहले केंद्रीय कारा में हस्तकरघा उद्योग में एक शिफ्ट में ही काम चल रहा था. लेकिन, अलग- अलग मंडल व उप कारा से डिमांड बढ़ने के बाद अब दो शिफ्ट में 100 से 110 बंदी काम कर रहे हैं. बंदियों के द्वारा एक दिन में 300 मीटर कपड़ा तैयार कर 60 से 70 पीस बंदी कुर्ता- पजामा बनाया जाता है. सूत से कपड़ा तैयार करने, फिर कपड़े की कटिंग करके उसकी टेलरिंग व फिनिशिंग के लिए अलग- अलग बंदियों की जिम्मेवारी तय की गयी है.

सेंट्रल जेल के स्टॉक में 440 कैदी कुर्ता- पैजामा, 433 जंघिया, 260 कैदी गमछा, 90 कैदी चादर, 925 हाजती कुर्ता- पैजामा, 110 हाजती जंघिया, 148 हाजती गंजी, 310 हाजती गमछा और 570 हाजती चादर मौजूद है. जिसकी सप्लाई मुजफ्फरपुर सेंट्रल जेल के बंदियों के बीच में भी काफी संख्या में की गयी है. सेंट्रल जेल के अधीक्षक ब्रिजेश सिंह मेहता ने बताया कि सेंट्रल जेल के हस्तकरघा उद्योग में विचाराधीन व सजायाफ्ता कैदियों के लिए कुर्ता- पैजामा के साथ- साथ उनके दैनिक इस्तेमाल का सभी वस्त्र बनाया जाता है. बंदियों के डिमांड के अनुरूप सप्लाई किया जाता है.

जज व अधीक्षक की कुर्सी का सबसे अधिक क्रेज

सेंट्रल जेल में तैयार जज व अधीक्षक की कुर्सी का 2024 में सबसे अधिक डिमांड आया. हेड मिस्त्री के रूप में 2013 से काम करने वाले सजावार बंदी इंद्र कुमार शर्मा उर्फ इंदल ठाकुर है. वह जेल आने से पहले पुणे में काम करता था. हत्या के केस में सजायाफ्ता होने के बाद से वह जेल में फर्नीचर उद्योग की कमान संभाल रहा है. जेल प्रशासन का कहना है कि मॉडल के डिजाइन के अनुसार डिमांड जेल व कोर्ट से भेजा जाता है. जिसके आधार पर सामान तैयार करके उनको सप्लाई किया जाता है.

साबुन व फिनाइल भी किया जा रहा निर्माण

सेंट्रल जेल के अंदर बंदियों का कपड़ा धोने के लिए साबुन भी बनाया जाता है. इसके अलावा फिनाइल भी तैयार किया जा रहा है. सरसों तेल, मसाला, सत्तू का भी निर्माण बंदियों के द्वारा किया जा रहा हैं.

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RajeshKumar Ojha
RajeshKumar Ojha
Senior Journalist with more than 20 years of experience in reporting for Print & Digital.

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