वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर जिले में इस साल एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एइएस) से पीड़ित होकर सदर अस्पताल में भर्ती होने वाले सभी बच्चों की जानकारी अब केंद्रीय टीम द्वारा रखी जाएगी. इसके साथ ही. राज्य की टीम को भी इसकी रिपोर्ट भेजी जानी है. प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने एइएस प्रभावित 25 जिलों के सिविल सर्जनों को निर्देश दिया है कि हर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में अगर बच्चे प्रारंभिक इलाज के लिए भर्ती होते हैं. तो उन्हें सबसे पहले कंट्रोल रूम को इसकी सूचना देनी होगी. कंट्रोल रूम से पूरी जानकारी एकत्र करने के बाद उसे पटना स्थित स्वास्थ्य मुख्यालय को भेजा जाएगा. वहीं. केंद्रीय टीम को पूरी रिपोर्ट देने के लिए दो टीमें गठित की गयी हैं. ये टीमें अपनी रिपोर्ट सीधे केंद्रीय टीम को देंगी. स्वास्थ्य मुख्यालय द्वारा एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड अध्यक्ष से उन बच्चों की निगरानी करने को भी कहा जाएगा. प्रारंभिक इलाज पर जोर. एसकेएमसीएच में भर्ती की जाएगी प्राथमिकता. निर्देशों के अनुसार. अगर सीएचसी और पीएचसी में प्रारंभिक इलाज से बच्चों की स्थिति में सुधार होता है. तो उन्हें वहीं रखा जाएगा. यदि सुधार नहीं होता है. तो उन्हें तुरंत श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एसकेएमसीएच) में भर्ती कराया जाएगा. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि एईएस से पीड़ित बच्चों का अगर प्रारंभिक इलाज प्रोटोकॉल के तहत किया जाए. तो उसमें बीमारी बढ़ने का खतरा नहीं होता है. धीरे-धीरे उनकी हालत में सुधार होता है और वे स्वस्थ हो जाते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि एइएस से पीड़ित बच्चों में सबसे पहले शुगर की कमी होने लगती है, जिससे उनकी हालत नाजुक हो जाती है.
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