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14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम लेने पर लगेगा ₹50000 तक का जुर्माना

A fine of up to ₹50,000 will be imposed

मुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर गन्नीपुर स्थित उप श्रमायुक्त कार्यालय परिसर में ग्रामीण श्रमिकों के लिए प्रशिक्षण शिविर-सह-कार्यशाला का आयोजन किया गया.इस अवसर पर, जिलाधिकारी ने बाल श्रम को एक सामाजिक अभिशाप बताते हुए प्रबुद्ध एवं जिम्मेदार नागरिकों से जिले को बाल श्रम से मुक्त करने की अपील की.उन्होंने उपस्थित सभी व्यक्तियों को 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में कार्य न लेने व पूरी ईमानदारी, संवेदनशीलता और सामाजिक दायित्व के साथ बाल श्रम मुक्ति के लिए प्रयास करने की शपथ दिलाई.

डीएम ने अपने संबोधन में कहा कि बच्चों को बाल श्रम से मुक्त कराने हेतु सरकार द्वारा जन जागरूकता एवं छापेमारी अभियान जारी है, लेकिन इसके लिए समाज के हर जिम्मेदार नागरिक को सजग और तत्पर होने की आवश्यकता है. उन्होंने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और कौशल विकास पर जोर दिया. बताया कि बाल श्रम एक दंडनीय अपराध है, जिसमें नियोजक को ₹20,000 से ₹50,000 तक का जुर्माना और/या 6 माह से 2 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है. सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार दोषी नियोजक को ₹20,000 पुनर्वास-सह-कल्याण कोष में देना होगा.उन्होंने श्रमिकों को निबंधन कराने, सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से अवगत होने और उनका लाभ उठाने पर भी बल दिया. बाल श्रम से संबंधित शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर 1098 डायल किया जा सकता है.

श्रमिकों को दी गई योजनाओं की विस्तृत जानकारी

बिहार शताब्दी असंगठित कार्यक्षेत्र कामगार एवं शिल्पकार सामाजिक सुरक्षा योजना 2011 (संशोधित 2024) के अंतर्गत स्वाभाविक मृत्यु में ₹50,000 और दुर्घटना मृत्यु में ₹2 लाख का प्रावधान है. इसके अतिरिक्त, बिहार भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा संचालित विवाह योजना, मातृत्व लाभ, नकद पुरस्कार योजना, साइकिल क्रय योजना, स्वाभाविक मृत्यु, दुर्घटना मृत्यु आदि योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई. इसमें निबंधित महिला कामगारों के प्रथम दो प्रसव पर तीन माह के मजदूरी तुल्य राशि, लड़की के विवाह पर ₹50,000, निबंधित श्रमिक की स्वाभाविक मृत्यु पर ₹2 लाख, दुर्घटना मृत्यु पर ₹4 लाख, श्रमिकों के बच्चों के मैट्रिक/इंटर में 60% से अधिक अंक लाने पर ₹10,000 से ₹25,000 तक की राशि, और भवन मरम्मत हेतु ₹20,000 की राशि की व्यवस्था शामिल है.

डीएम ने किया पर्यवेक्षण गृह और बाल गृह का औचक निरीक्षण

कार्यक्रम के बाद, जिलाधिकारी ने सिकंदरपुर स्थित पर्यवेक्षण गृह एवं बाल गृह का भी भ्रमण कर वस्तुस्थिति का जायजा लिया. पर्यवेक्षण गृह में 6 से 18 वर्ष तक के विधि विवादित बच्चों को रखा जाता है, और मुजफ्फरपुर में ऐसे 77 बच्चे हैं. वहीं, बाल गृह में भूले-भटके बच्चों को संरक्षण और देखरेख के लिए रखा जाता है, जहाँ वर्तमान में 60 बच्चे हैं। इन गृहों में बच्चों की सुरक्षा, संरक्षण और विकास हेतु मुफ्त आवासन, खान-पान, पढ़ाई-लिखाई तथा जीवन कौशल प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है, ताकि वे समाज की मुख्य धारा में शामिल हो सकें.

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Prabhat Kumar
Prabhat Kumar
I am working as a chief reporter at Prabhat Khabar muzaffarpur. My writing focuses on district administration, political, social, and current topics.

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