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शोध का अनिवार्य अंग है डेटा विश्लेषण

शोध का अनिवार्य अंग है डेटा विश्लेषण

:: अर्थशास्त्र विभाग में चार दिवसीय शोध कार्यशाला का समापन वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग की ओर से आयोजित चार दिवसीय शोध पद्धति कार्यशाला के अंतिम दिन पटना विश्वविद्यालय के डॉ अविरल पांडेय ने तीन सत्रों में प्रशिक्षण दिया. उन्होंने सॉफ्टवेयर के माध्यम से काई स्क्वायर टेस्ट, एफ टेस्ट, वन वे व टू वे एनोवा, रिग्रेशन और कोरिलेशन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया. उन्होंने विभिन्न डेटासेट्स की सहायता से अलग-अलग वेरिएबल्स के बीच संबंध को समझाया. विद्यार्थियों ने स्वयं हाथों-हाथ हाइपोथीसिस परीक्षण कर कार्यशाला को अत्यंत इंटरऐक्टिव एवं ज्ञानवर्धक बना दिया. शाम में समापन सत्र की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो.बिनीता वर्मा ने की. उन्होंने मुख्य अतिथि प्रो.पीके राय को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया. कहा कि डेटा विश्लेषण शोध का अनिवार्य अंग है. जो युवा शोधार्थियों में ज्ञान एवं कौशल का विकास करता है. विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित प्रो.डीके दास ने भी शोध में एम्पिरिकल एनालिसिस के महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि आज के युग में मात्र सैद्धांतिक ज्ञान पर्याप्त नहीं है, बल्कि आंकड़ों के आधार पर विश्लेषण करना शोध को अधिक प्रासंगिक और विश्वसनीय बनाता है. कार्यशाला की चार दिवसीय रिपोर्ट आयोजन सचिव डॉ रोज़ी सुलोचना ने प्रस्तुत की. शोधार्थी सुगंधा व सोनू शर्मा ने रैपोर्टियर की भूमिका निभाई. राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ. सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिया गया. मंच संचालन डॉ रोजी सुलोचना और धन्यवाद ज्ञापन ऋतु वर्मा ने किया. समापन सत्र में प्रो.अजय कुमार, प्रो.चंचल चरण, प्रो.जफर अहमद सुल्तान समेत कई अन्य शोधार्थी और छात्र-छात्राएं मौजूद थे.

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