Bihar: बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), सबौर के अनुसंधान निदेशक डॉ. ए. के. सिंह को बिहार एग्रीकल्चर साइंस एकेडमी (BASA) के फेलो के रूप में साल 2025 के लिए चुना गया है. यह सम्मान उन्हें प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, जलवायु अनुकूल कृषि, संसाधन संरक्षण तकनीकों, आनुवंशिक संसाधन प्रबंधन और कृषि प्रणाली नवाचारों में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया गया है. उन्होंने यह फेलोशिप BASA के द्वितीय वार्षिक दिवस समारोह और वार्षिक आम सभा की बैठक के दौरान, जो ऑनलाइन मोड में 24 मार्च 2025 को आयोजित हुई, प्राप्त की.
डॉ. डी.आर. सिंह, कुलपति, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर ने कहा कि “डॉ. अनिल कुमार सिंह की कृषि अनुसंधान और नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता ने सतत कृषि पद्धतियों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उन्हें BASA फेलो के रूप में सम्मानित किया जाना उनके प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और जलवायु अनुकूल कृषि में उत्कृष्ट योगदान का प्रमाण है. बिहार कृषि विश्वविद्यालय को उनकी उपलब्धियों पर गर्व है, जो वैज्ञानिक समुदाय को प्रेरित करने के साथ-साथ देशभर के किसानों को लाभान्वित कर रही हैं.
वैज्ञानिक योगदान और प्रभाव

25 से अधिक वर्षों के अनुसंधान अनुभव के साथ, डॉ. सिंह ने सतत कृषि, संसाधन दक्षता और जलवायु अनुकूलन रणनीतियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उनके अनुसंधान ने नीति-निर्माण और कृषि सुधारों में भी योगदान दिया है.
उनकी प्रमुख वैज्ञानिक उपलब्धियाँ:
- छह उच्च उपज वाली जलवायु अनुकूल फसल किस्मों का विकास, जिससे उत्पादन स्थिरता और किसान आय में वृद्धि हुई.
- चार पेटेंट और 11 कॉपीराइट, जिससे भारतीय कृषि में नवाचार और बौद्धिक संपदा को मजबूती मिली.
- मखाना में जैव-सक्रिय यौगिकों (बायोएक्टिव कंपाउंड) की खोज, जिससे इसके पोषण मूल्य को बढ़ावा मिला और वैश्विक बाजार में पहचान मिली.
- भौगोलिक संकेत (GI) पहल को मजबूती, जिससे मखाना, कतरनी चावल और जर्दालु आम जैसी कृषि उत्पादों का बाजारीकरण बढ़ा और किसानों को आर्थिक लाभ मिला.
- ₹250 करोड़ से अधिक अनुसंधान अनुदान प्राप्त किया, जिससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कृषि नवाचार परियोजनाओं को बढ़ावा मिला.
- नीति-निर्माण में रणनीतिक नेतृत्व, जिससे विशिष्ट फसलों के व्यावसायीकरण के लिए वित्तीय और संस्थागत सहायता प्राप्त हुई.
पुरस्कार, सम्मान और उपलब्धियां
डॉ. सिंह को उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए हैं:
- राजभाषा गौरव पुरस्कार – गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा कृषि विज्ञान में हिंदी में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित.
- भारतीय समाज विज्ञान और भारतीय पादप आनुवंशिक संसाधन सोसायटी के फेलो – कृषि अनुसंधान और आनुवंशिक संरक्षण में नेतृत्व हेतु मान्यता.
- सर्वश्रेष्ठ अनुसंधानकर्ता पुरस्कार – उच्च प्रभावशाली वैज्ञानिक प्रकाशनों और तकनीकी नवाचारों के लिए प्रदान किया गया.
- स्टार्टअप लीडरशिप के लिए गोल्ड अवार्ड – बीएयू के स्टार्टअप इनक्यूबेशन हब, SABAGRIs के नेतृत्व के लिए.
- राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान और नवाचार उत्कृष्टता पुरस्कार – जलवायु अनुकूल कृषि और कृषि प्रणालियों में अग्रणी कार्य के लिए.
- बिहार GI सुविधा केंद्र के प्रमुख समन्वयक – भौगोलिक संकेत (GI) उत्पादों के प्रचार और व्यापारिकरण में योगदान.
- पूर्वोदय योजना के नोडल अधिकारी – जलवायु अनुकूल कृषि के तहत 25,000+ किसानों को प्रशिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका.
दूरदर्शी नेतृत्व और भविष्य की योजना
डॉ. सिंह सतत कृषि और जलवायु-स्मार्ट खेती में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं. उनके नेतृत्व में:
• कृषि में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और डिजिटल टूल्स को शामिल कर सटीक कृषि मॉडल विकसित किए गए.
• जल, मृदा और पोषक तत्व प्रबंधन के लिए संसाधन संरक्षण रणनीतियाँ तैयार की गईं.
• बौद्धिक संपदा और तकनीकी व्यावसायीकरण को मजबूती दी, जिससे अनुसंधान-आधारित नवाचार किसानों तक पहुँचे. • पूर्वोदय योजना के तहत कृषि क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
फेलोशिप मिलने पर डॉ. सिंह ने कहा, “यह सम्मान बीएयू, सबौर के अनुसंधान समुदाय के सामूहिक प्रयासों का प्रमाण है. मैं किसानों को सशक्त बनाने, बिहार की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और भारत को सतत कृषि नवाचारों में अग्रणी बनाने के लिए समर्पित हूँ.”
एक प्रतिष्ठित मान्यता
बिहार एग्रीकल्चर साइंस एकेडमी (BASA), कृषि अनुसंधान, नीति निर्माण और नवाचार नेतृत्व में उत्कृष्टता को मान्यता देने वाली प्रमुख संस्था है. डॉ. सिंह का फेलो के रूप में चयन उनके समर्पण, अनुसंधान उत्कृष्टता और किसान-केन्द्रित तकनीकी नवाचारों को दर्शाता है. उनका उद्देश्य वैज्ञानिक अनुसंधान और कृषि क्षेत्र के बीच की खाई को पाटना है, जिससे नवाचारों को किसानों, कृषि व्यवसायों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए ठोस लाभ में बदला जा सके.
नोट: यह खबर प्रेस नोट के आधार पर लिखी गई है. इनपुट – (अनुज शर्मा)