स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) की पहल से गांव का बदल रहा आबोहवा
प्रभात कुमार, मुजफ्फरपुरग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता और प्रतिबद्धता अब स्पष्ट रूप से दिख रही है. जिले के सभी 16 प्रखंडों की 371 पंचायतों में ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन का काम जोर-शोर से चल रहा है. यह पहल स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों को स्वच्छ बनाना और खुले में शौच मुक्त स्थिति को बनाए रखना है.
हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, जिले के लगभग 11.70 लाख परिवार इस स्वच्छता अभियान से जुड़ चुके हैं. यह आंकड़ा ग्रामीण आबादी के बीच बढ़ती जागरूकता और स्वच्छता को अपनाने की उनकी इच्छाशक्ति को दर्शाता है. इस अभियान की सबसे खास बात यह है कि ग्रामीण अब स्वच्छता सेवाओं के लिए हर महीने पांच लाख रुपये का सेवा शुल्क भी स्वेच्छा से भुगतान कर रहे हैं. यह वित्तीय योगदान यह साबित करता है कि ग्रामीण समुदाय न केवल स्वच्छ वातावरण के महत्व को समझ रहा है, बल्कि इसके लिए आर्थिक रूप से भी सहयोग करने को तैयार है. यह पहल गांवों को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रही है.एसएलडब्ल्यूएम योजना के मुख्य उद्देश्य
खुले में शौच मुक्त स्थिति बनाए रखना
: यह सुनिश्चित करना कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोई भी खुले में शौच न करे.ठोस और तरल कचरे का प्रभावी
प्रबंधन:
घरों और सार्वजनिक स्थानों से निकलने वाले कचरे को वैज्ञानिक तरीके से इकट्ठा करना, अलग करना, उपचारित करना और सुरक्षित निपटान करना.ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता स्तर में
सुधार:
गांवों को स्वच्छ, हरा-भरा और स्वस्थ बनाना, जिससे ग्रामीणों के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो.व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा
देना
: लोगों के व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाना ताकि वे स्वच्छता प्रथाओं का पालन करें.संसाधन जुटाना
: केंद्र और राज्य सरकार के फंड, 15वें वित्त आयोग के अनुदान, मनरेगा और सीएसआर फंड जैसे विभिन्न स्रोतों से वित्तीय सहायता जुटाना.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है