प्रतिनिधि, सरैया प्रखंड के सुपना गांव में श्री हनुमान जी की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ सह श्रीमद्भागवत कथा सुनने के लिए छठे दिन गुरुवार की रात श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी़ इस दौरान वृंदावन से आये कथावाचक आचार्य श्री मणिकांत ठाकुर जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी का चरित्र चित्रण किया. कहा कि भगवान श्रीकृष्ण को बांसुरी काफी पसंद होने के कारण वे सदैव साथ रखते थे. यह न केवल एक वाद्ययंत्र है, बल्कि प्रेम, आनंद और आध्यात्मिक संबंध का प्रतीक भी है. बांसुरी की मधुर ध्वनि श्रीकृष्ण के दिव्य प्रेम और लीलाओं को दर्शाता है, जिससे भक्तजन मोहित हो जाते हैं. वहीं बासुंरी के महत्व के बारे में बताते हैं कि बांसुरी में सात छिद्र होते हैं, जो जीवन की विभिन्न चुनौतियों और कठिनाइयों के प्रतीक हैं. सात छिद्र होने के बावजूद भी बांसुरी मधुर ध्वनि उत्पन्न करती है. इससे हमें प्रेरणा मिलती है कि हमें भी कठिनाइयों का सामना करते हुए सकारात्मक और मधुर बने रहना चाहिए. वहीं कथा के अंत में श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह के बारे में बताते हुए झांकी प्रस्तुत की गयी. मौके पर रानू शंकर, विनय दास, शंकर चौधरी, मदन चौधरी, अरुण चौधरी, अभय निर्भय, मुकुल कुमार, छोटन पासवान, बसंत छोटन पासवान, ललन साह, अजय ठाकुर, जितेंद्र ठाकुर सहित हजारों लोग उपस्थित थे.
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