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मनोज कुमार को पसंद था बिहार के इस जिले का सत्तू और मकई का आटा, आज जीवन की अंतिम यात्रा पर निकले

Manoj Kumar: हिंदी सिनेमा जगत के जाने माने कलाकार मनोज कुमार ने शुक्रवार की सुबह हमसब को अलविदा कह दिया. आज उनका अंतिम संस्कार हो रहा है. मनोज कुमार को अपनी जवानी के दिनों में मुजफ्फरपुर का सत्तू और मकई का आटा बहुत भाता था. वे हमेशा यहां से अपने पसंद का सत्तू मंगाया करते थे. पढ़ें रोचक किस्सा…

Manoj Kumar: हिंदी सिनेमा के दिग्गज सुपरस्टार मनोज कुमार अब हमारे बीच नहीं रहे. शुक्रवार सुबह 87 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया है. आज उनको आखिरी विदाई दी जा रही है. तमाम बॉलीवुड के सितारे उनके अंतिम दर्शन में शामिल हुए.

फिल्म इंडस्ट्री पर 50 सालों तक राज करने वाले स्टार मनोज कुमार को मुजफ्फरपुर का सत्तू और मक्के का आटा बहुत पसंद था. वह अक्सर यहां से सत्तू और मकई का आटा मंगवाया करते थे. 1970 से शुरू हुआ यह सिलसिला तीस सालों तक चला. बिहार के फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर डीएन झा उन्हें मुजफ्फरपुर का सत्तू और मकई का आटा भेंट करते थे. डीएन झा याद करते हुए बताते हैं कि साल 1970 में पूरब पश्चिम फिल्म की खरीदारी करने वे फिल्म निर्माता जवाहर झा के साथ मुंबई स्थित बॉलीवुड स्टार मनोज कुमार के घर गये थे. पहली बार उनसे वहीं भेंट हुई थी. पहली मुलाकात के बाद ही हमलोगों की अच्छी जान पहचान हो गई थी. डीएन झा को बिहार में फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन के लिये मुंबई अक्सर जाना होता था. इस दौरान वे मुंबई में मनोज कुमार से भी मिलते थे.

सत्तू और मकई का आटा लाने को कहते

डीएन झा आगे बताते हैं कि एक बार वे मनोज कुमार के लिए मुजफ्फरपुर से चना का सत्तू और मकई का आटा लेकर गए, जो उन्हें बहुत पसंद आया. इसके बाद वह हमेशा उन्हें सत्तू और मकई का आटा लाने को कहते थे. डीएन झा ने कहा कि जब भी वे मुंबई जाते तो अपने साथ कुमार की पसंद की चीजें ले जाते. 1974 में जब रोटी कपड़ा और मकान फिल्म रिलीज हुई तो बिहार का डिस्ट्रीब्यूशन डीएन झा ने ही लिया. इसके बाद 1981 में क्रांति फिल्म भी खरीदी. उस वक्त प्रोडक्शन का काम मनोज कुमार की पत्नी शशि गोस्वामी देख रही थीं, लेकिन मनोज कुमार की सहमति के बाद ही फिल्में मिलती थी. मनोज कुमार को बिहार की राजनीति का भी अच्छा ज्ञान था और इस पर चर्चा भी किया करते थे.

फिल्म जय हिंद के बाद नहीं हुई मुलाकात

डिस्ट्रीब्यूटर डीएन झा आगे बताते हैं कि उनके प्रोडक्शन की अंतिम फिल्म जय हिंद साल 1999 में रिलीज हुई थी. उसकी खरीदारी के बाद से उनसे मिलने जुलने का सिलसिला टूट गया. इसके बाद से वह बीमार रहने लगे और उनके प्रोडक्शन से भी फिल्में नहीं आयी. इसके बाद धीरे-धीरे फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन का तरीका भी बदल गया. फिर उनसे भेंट नहीं हो पायी. आज उनके निधन से मर्माहत हैं.

इनपुट – विनय कुमार

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Aniket Kumar
Aniket Kumar
अनिकेत बीते 4 सालों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं. राजस्थान पत्रिका और न्यूजट्रैक जैसे मीडिया संस्थान के साथ काम करने का अनुभव. हाईपरलोकल और राजनीति की खबरों से अधिक जुड़ाव. वर्तमान में प्रभात खबर की डिजिटल टीम के साथ कार्यरत.

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