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ढाई वर्ष बीते पर अबतक कई छात्रों ने शुरू भी नहीं किया शोध कार्य

ढाई वर्ष बीते पर अबतक कई छात्रों ने शुरू भी नहीं किया शोध कार्य

दीपक – 44

अर्द्धवार्षिक समीक्षा में उपस्थित हुए शोध छात्र अपडेट बताने से पूर्व हाे गये गायब

वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर

बीआरएबीयू के जंतु विज्ञान विवि विभाग में पीएचडी छात्रों के शोध कार्य प्रगति की अर्द्धवार्षिक समीक्षा की गयी. विभागाध्यक्ष प्रो राकेश मोहन के कार्यभार संभालने के बाद यह पहली समीक्षा थी. सभी शोध छात्रों को विभागीय शोध परिषद (डीआरसी) के समक्ष अपने शोध कार्य की प्रगति का ब्योरा देना था. खानापूरी करने की उम्मीद में पहुंचे छात्रों से जब विभागाध्यक्ष ने कड़ाई से प्रगति का ब्योरा लिया तो कई छात्रों ने स्वीकार किया कि लगभग ढाई साल बीत जाने के बाद अभी तक उन्होंने शोध कार्य शुरू भी नहीं किया है. वे अबतक फर्जी प्रोग्रेस रिपोर्ट देते आ रहे थे. समीक्षा की बात सुन छात्रों में हड़कंप मच गया. स्थिति यह हो गयी कि उपस्थिति पंजी पर हाजिरी बनाने वाले लगभग दो तिहाई शोध छात्र अपनी प्रस्तुति की बारी आने पर हाॅल से गायब हो गये. शुरुआत में ही शोध छात्रों को आश्वस्त करते हुए डीआरसी के वरिष्ठ सदस्य डाॅ ब्रज किशोर प्रसाद सिंह ने कहा कि इस पूरी कवायद का उद्देश्य शोध की गुणवत्ता में सुधार लाना है. इसके लिए कुलपति संकल्पित हैं और वे मौखिकी परीक्षा में स्वयं उपस्थित होकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि सही ढंग से शोध करने वाले छात्रों को ही पीएचडी की उपाधि मिले. ऐसी स्थिति में यदि हम नियमित अंतराल पर शोध कार्यों की माॅनिटरिंग करेंगे. अवकाश प्राप्त प्रो फैय्याज अहमद के निर्देशन में भी पीएचडी हो रही है. उन्होंने भी शोध छात्रों को संबोधित किया. डेढ़ दर्जन में से चार-पांच की ही प्रस्तुति संतोषजनक रही. विभाग की ओर से बताया गया कि सबसे चिंताजनक बात यह है कि अवकाशप्राप्त प्रोफेसरों के निर्देशन में जितने शोध छात्र निबंधित हैं. उनमें से किसी ने इस प्रेजेंटेशन में भाग नहीं लिया.

विभागाध्यक्ष प्रो राकेश मोहन ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि अनुपस्थित शोध छात्रों को शीघ्र ही एक मौका और दिया जायेगा. यदि वे पुन: अनुपस्थित रहते हैं या उनके शोध कार्य का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहता है तो डीआरसी उनके रजिस्ट्रेशन को रद्द करने की अनुशंसा कर सकती है. इस मौके पर डीआरसी के सदस्य डाॅ विपुल वैभव व डाॅ निक्की भी उपस्थित थे.

सेवानिवृत्त प्राध्यापक भी करा रहे शोध :

विवि अनुदान आयोग के वर्ष 2016 के रेगुलेशन के अनुसार अवकाश प्राप्त शिक्षक गाइड नहीं बन सकते. कुछ वरिष्ठ प्रोफेसर रिटायरमेंट से कुछ समय पूर्व ही रजिस्ट्रेशन करवा कर कई शोध छात्र अपने निर्देशन में शोध कराना शुरू कर दिया. कई प्राध्यापक तो ऐसे हैं जिनके निर्देशन में मानक से अधिक छात्र पंजीकृत हैं.

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