कालसर्प से मुक्ति के लिए करें सांपों की पूजा नागपंचमी आज : शिव योग में कालसर्प दोष शांति हेतु विशेष पूजन का महत्व उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और शिव योग के शुभ संयोग में मंगलवार को नागपंचमी का पर्व मनाया जाएगा. ऐसी मान्यता है कि यदि सावन में मंगलवार को नागपंचमी पड़े, तो भगवान भोलेनाथ का पूजन रुद्राभिषेक के साथ किया जाए और कालसर्प दोष की शांति के उपाय किए जाएं, तो मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं. भगवान विष्णु के प्रिय शेषनाग की पूजा पंडित प्रभात मिश्र ने बताया कि शास्त्रों में वर्णित है कि नाग पंचमी को भगवान विष्णु के प्रिय शेषनाग की पूजा की जाती है. सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागदेवता का पूजन करने के बाद ही लोग अपने गृह देवताओं की पूजा करते हैं. ज्योतिष की दृष्टि से भी नाग पंचमी को बहुत महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है, खासकर कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए यह पर्व श्रेष्ठ माना गया है. जिस जातक की कुंडली में कालसर्प दोष है, उन्हें नाग पंचमी के दिन कालसर्प गायत्री मंत्र का 21 हजार जप करने के बाद दशांश हवन करने मात्र से ही इस दोष से छुटकारा मिलने लगता है. ग्रहों के प्रतीक नाग और उनकी पूजा का महत्व पंडित प्रभात मिश्र के अनुसार, विभिन्न नाग अलग-अलग ग्रहों के प्रतीक हैं: अनंत नाग – सूर्य वासुकि – सोम तक्षक – मंगल कर्कोटक – बुध पद्म – गुरु महापद्म – शुक्र कुलिक व शंखपाल – शनैश्चर ग्रह के रूप हैं. आर्द्रा, अश्लेषा, मघा, भरणी, कृत्तिका, विशाखा, पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वा भाद्रपद, पूर्वाषाढ़ा, मूल, स्वाति, शतभिषा नक्षत्रों के अलावा अष्टमी, दशमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों को सांप का काटना ठीक नहीं माना जाता. गरुड़ पुराण के अनुसार, सांप के काटने से हुई मृत्यु से अधोगति की प्राप्ति होती है. जिन जातकों की जन्म कुंडली में कालसर्प योग बने हुए हैं, वे यदि नागदेवता की पूजा करें तो जीवन में आने वाली कुछ समस्याओं से निजात मिल जाती है. नाग पूजन के बाद ही गृह देवताओं का पूजन करने की परंपरा है, जिससे घर में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. ऐसे करें नागों की पूजा: सबसे पहले सरसों में बालू मिलाकर मंत्र से अभिमंत्रित कर अपने घर के चारों दिशाओं से घेरें. इस दिन अपने दरवाजे के दोनों ओर गोबर से सर्पों की आकृति बनाएं और धूप, पुष्प आदि से इसकी पूजा करें. इसके बाद इंद्राणी देवी की पूजा करनी चाहिए. इस दिन दही, दूध, अक्षत, सुगंधित पुष्प और नैवेद्य से उनकी आराधना करनी चाहिए.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है