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चांद पर बढ़ रहे हमारे कदम, गीत गाओगे तुम गुनगुनायेंगे हम

चांद पर बढ़ रहे हमारे कदम, गीत गाओगे तुम गुनगुनायेंगे हम

-निराला निकेतन में महावाणी स्मरण का आयोजन

मुजफ्फरपुर.

निराला निकेतन में सोमवार को महावाणी स्मरण का आयोजन किया गया. काव्य गोष्ठी का शुभारंभ अंजनी कुमार पाठक ने आचार्य के गीतों की प्रस्तुति से की. अध्यक्षता शुभ नारायण शुभंकर और मंच संचालन डाॅ हरि किशोर प्रसाद सिंह ने किया. धन्यवाद ज्ञापन समाजसेवी मोहन सिन्हा ने किया. इसमें उपस्थित कवियों में अंजनी कुमार पाठक ने जिंदगी का ना कोई ठिकाना, आज यहां कल कहां है जाना सुनाकर वाहवाही बटोरी. अशोक भारती ने चांद पर बढ़ रहे हमारे कदम, गीत गाओगे तुम गुनगुनाएंगे हम सुना कर सराहना ली. दीनबंधु आजाद ने रेत पे लिखकर मेरा नाम मिटाया ना करो सुनाकर समां बांध दिया. अरुण कुमार तुलसी ने गुरु बिन भ्रम न मिटे भाई, कोटि जतन करे धर्म कमायी और सत्येंद्र कुमार सत्येन ने बाबा बैधनाथ पूरा करिहे मनवा के आस, तोहरा गोदिया में खेलिहें बबुआ के विश्वास सुनाकर तालियां बटोरी. रामवृक्ष राम चकपुरी ने राहे मंजर झूल से शवों के देख रोंगटे खड़े हो रहा है और शुभ नारायण शुभंकर ने होता जो संसार प्रेममय घृणा जनित उत्पात न होता, छल छदमों का नाम न होता और कभी संताप न होता, उमेश राज ने बज्जिका रचना आज केतना गिर गेल हए आदमी, अप्पन बनकअ लूट रहल आदमी, डाॅ हरि किशोर प्रसाद सिंह ने जय बज्जिका शीर्षक कविता और प्रमोद नारायण मिश्र ने रिश्ता दिल से बनता है, दिखावा से नही बनता सुनाया. इस मौके पर उषा किरण श्रीवास्तव व संगीता सागर ने रचनाएं सुनायी.

निराला निकेतन में सोमवार को महावाणी स्मरण का आयोजन किया गया. काव्य गोष्ठी का शुभारंभ अंजनी कुमार पाठक ने आचार्य के गीतों की प्रस्तुति से की. अध्यक्षता शुभ नारायण शुभंकर और मंच संचालन डाॅ हरि किशोर प्रसाद सिंह ने किया. धन्यवाद ज्ञापन समाजसेवी मोहन सिन्हा ने किया. इसमें उपस्थित कवियों में अंजनी कुमार पाठक ने जिंदगी का ना कोई ठिकाना, आज यहां कल कहां है जाना सुनाकर वाहवाही बटोरी. अशोक भारती ने चांद पर बढ़ रहे हमारे कदम, गीत गाओगे तुम गुनगुनाएंगे हम सुना कर सराहना ली. दीनबंधु आजाद ने रेत पे लिखकर मेरा नाम मिटाया ना करो सुनाकर समां बांध दिया. अरुण कुमार तुलसी ने गुरु बिन भ्रम न मिटे भाई, कोटि जतन करे धर्म कमायी और सत्येंद्र कुमार सत्येन ने बाबा बैधनाथ पूरा करिहे मनवा के आस, तोहरा गोदिया में खेलिहें बबुआ के विश्वास सुनाकर तालियां बटोरी. रामवृक्ष राम चकपुरी ने राहे मंजर झूल से शवों के देख रोंगटे खड़े हो रहा है और शुभ नारायण शुभंकर ने होता जो संसार प्रेममय घृणा जनित उत्पात न होता, छल छदमों का नाम न होता और कभी संताप न होता, उमेश राज ने बज्जिका रचना आज केतना गिर गेल हए आदमी, अप्पन बनकअ लूट रहल आदमी, डाॅ हरि किशोर प्रसाद सिंह ने जय बज्जिका शीर्षक कविता और प्रमोद नारायण मिश्र ने रिश्ता दिल से बनता है, दिखावा से नही बनता सुनाया. इस मौके पर उषा किरण श्रीवास्तव व संगीता सागर ने रचनाएं सुनायी.

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