दीपक 26
– सड़क दुर्घटना के आंकड़े को पोर्टल पर करना होता है अपलोड– आंकड़ा अपलोड नहीं होने से मुआवजा भुगतान में होता विलंब
– डीएम के निर्देश पर डीटीओ ऑफिस में दिया जा रहा प्रशिक्षण वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरसड़क दुर्घटना में मृत लोगों के परिवाहन को समय पर मुआवजा भुगतान के लिए आइरेड व इ-डार पर दुर्घटना संबंधित रिपोर्ट थाना द्वारा अपलोड करनी होती है. लेकिन इस रिपोर्ट के अपलोड नहीं होने के कारण मृतक के परिवार को मुआवजा देने में विलंब होता है. डीएम की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में यह बात सामने आयी तो पता चला कि थाना स्तर पर रिपोर्ट अपलोड में परेशानी हो रही है, जबकि पूर्व में इसका प्रशिक्षण दिया गया था. इसके बाद डीएम के आदेश से पुन: जिले के सभी थानों के पुलिस पदाधिकारी व ऑपरेटर को फिर से प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जिला परिवहन कार्यालय में तीसरे दिन मंगलवार को प्रशिक्षण जारी रहा. इसको लेकर प्रशिक्षक हिमांशु कुमार ने इन सभी को प्रशिक्षण सत्र में फॉर्मेट एक से दस तक सही से भरने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी. केस के आइओ को इस फॉर्म को सही भरना है. इस पोर्टल के पीछे सरकार का मकसद यह है कि पीड़ित परिवार के लोगों को मुआवजा भुगतान में ज्यादा परेशानी नहीं हो. आवेदन भरने के बाद जिला परिवहन कार्यालय द्वारा मृतक के आश्रित के खाते में मुआवजा राशि का भुगतान किया जा रहा है.
दो तरह के आते हैं मामले
सड़क दुर्घटना में दो तरह के मामले होते हैं. पहला हिट एंड रन का, इसके तहत जिस गाड़ी से दुर्घटना होती है उसकी कोई जानकारी नहीं होती है. इसमें मृतक परिवार के आश्रित को सीधे इस रिपोर्ट के आधार पर मुआवजा राशि का भुगतान होता है. दूसरा मामला नन हिट एंड रन का होता है. इसमें दुर्घटना वाली गाड़ी की जानकारी होती है. इसमें मृतक के आश्रित को परिवहन विभाग द्वारा प्रमंडल स्तर पर गठित ट्रिब्यूनल में आवेदन करना होता है. ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष जो कि रिटायर्ड जज होते हैं, वह मृतक के परिवार के लाइबिलटी देखकर दुर्घटना करने वाले वाहन मालिक पर मुआवजा की राशि तय करते हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है