मजिस्ट्रेट सत्यापित हलफनामा बन रहा समाधान, पर लोग हो रहे परेशान मुजफ्फरपुर: आयुष्मान भारत योजना के तहत गोल्डन कार्ड बनवाने आ रहे लोगों को इन दिनों नाम में भिन्नता के कारण भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हर दिन सदर अस्पताल में आ रहे लगभग 150 लोगों में से 20-25 ऐसे होते हैं जिनके आधार कार्ड, राशन कार्ड या प्रधानमंत्री पत्र में नाम अलग-अलग हैं. इस विसंगति के चलते उनका गोल्डन कार्ड नहीं बन पा रहा और उन्हें अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. ऐसे मामलों में अब मजिस्ट्रेट द्वारा सत्यापित स्वयं का घोषणा पत्र समाधान के तौर पर स्वीकार किया जा रहा है. हालांकि, यह प्रक्रिया भी आम लोगों के लिए कम चुनौतीपूर्ण नहीं है. आशा कुमारी नामक एक लाभार्थी पिछले 15 दिनों से सदर अस्पताल के चक्कर लगा रही हैं. उनके आधार कार्ड में नाम आशा देवी है, जबकि आयुष्मान भारत योजना के प्रधानमंत्री पत्र में आशा कुमारी दर्ज है. कई दिनों की भागदौड़ के बाद उन्हें इस विसंगति का पता चला. अब उन्होंने मजिस्ट्रेट से सत्यापित घोषणा पत्र दिया है, जिसके बाद उनका नाम आशा देवी उर्फ आशा कुमारी के नाम से दर्ज किया गया है. इसी तरह, कृष्ण टोली निवासी अमर साह के साथ भी ऐसी ही समस्या आई. उनके आधार कार्ड पर नाम अमर साह है, जबकि योजना में उनका नाम अमर कुमार दर्ज है. उन्होंने भी स्वयं का घोषणा पत्र जमा किया है और उन्हें गोल्डन कार्ड बनने में एक सप्ताह का इंतजार करने को कहा गया है. नए सदस्यों को जोड़ने का प्रावधान नहीं: समस्या यहीं खत्म नहीं होती. योजना में नए सदस्यों का नाम जोड़ने के लिए जिला स्तर पर कोई प्रावधान नहीं है, जिससे कई ज़रूरतमंद लोग योजना के लाभ से वंचित हो सकते हैं.
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