महाकवि रामइकबाल सिंह राकेश स्मृति पर्व का आयोजन उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर महाकवि रामइकबाल सिंह राकेश स्मृति समिति के तत्वावधान में सोमवार को आमगोला के शुभानंदी में महाकवि राकेश स्मृति पर्व का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ देवव्रत अकेला ने कहा कि उत्तर छायावाद के कवि राम इकबाल सिंह राकेश शास्त्र और लोक से गहरे जुड़े थे. जहां उन्होंने प्राकृतिक तत्वों को अपने काव्य का आधार बनाया. उनके काव्य में महाकाव्यात्मक औदात्य दिखता है. उन्होंने अपने साहित्य में गांव, कृषक, मजदूर, पशु पक्षी, खेत खलिहान और फसलों का वर्णन किया है. डॉ संजय पंकज ने कहा कि मानवीय मूल्यों के तेजी से विघटित होते हुए समय में राकेश की कविताएं हमें संवेदनशील बनाती हैं. वह शौर्य, पराक्रम और पुरुषार्थ के आग्रही थे. उनकी रचनाएं भारतीय संस्कृति के वैभवशाली और शाश्वत सत्य को उकेरती है. परंपरा से गहरे जुड़े राकेश प्रगतिशील चेतना से भी आबद्ध हैं. डॉ विजय शंकर मिश्र ने कहा कि सौंदर्य बोध, राष्ट्रीयता और खड़ी बोली हिन्दी की मसृणता के पूर्ण विराम के बाद हिंदी की जो स्वच्छंदतावादी काव्य धारा प्रगतिशील तत्वों की सजीवता के साथ प्रवाहित हुई थी, राकेश उस धारा के कवि रहे. मुकेश त्रिपाठी ने कहा की साहित्य के गौरव राकेश ने हिंदी भाषा और साहित्य को अपनी सामाजिक और प्रकृति चेतना से संपन्न किया है. डॉ हरिकिशोर प्रसाद सिंह ने कहा कि राकेश किसान कवि थे. डॉ अनु शांडिल्य ने उनकी सीता और काली पर लिखी कविता का उल्लेख किया और कहा कि उनकी रचनाओं में स्त्री विमर्श के कई बिंदुओं को देखा जा सकता है. सोनी सुमन ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की. ब्रजभूषण शर्मा ने कहा कि मैंने उनके संग रहते हुये अपने समय के बड़े साहित्यकारों को देखने का अवसर प्राप्त किया है. इस मौके पर प्रणय कुमार, डॉ केशव किशोर कनक, विभु कुमारी, प्रेमभूषण, माला कुमारी, चैतन्य चेतन, अनुराग आनंद, पीयूष, राकेश कुमार सिंह व प्रमोद आजाद ने भी विचार रखे.
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