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मुजफ्फरपुर में बहनें 90 साल की उम्र में निभा रहीं रक्षाबंधन की पुरानी परंपरा, भाइयों की कलाई पर बांध रहीं राखी

रक्षाबंधन से एक दिन पहले हम आपको मुजफ्फरपुर की कुछ ऐसी बहनों की कहानी बता रहे हैं जो 90 साल की उम्र में भी अपने भाइयों को उसी तरह राखी बांधती हैं जैसे बचपन में बांधती थीं.

Rakshabandhan: भाई और बहनों के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन की अलग ही महत्ता है. भाई-बहन चाहे किसी भी उम्र के हों, रक्षाबंधन पर भाई की कलाई सूनी नहीं रहती. बहनों का स्नेहिल स्पर्श भाइयों की कलाई पर प्रेम का अहसास कराता रहता है. बहन छोटी उम्र में जिस प्रेम से भाइयों को राखी बांधती थीं, उसी तरह अब भी बांधती है. भाइयों के स्वास्थ्य से लेकर उनकी समृद्धि की कामना बहनें हर साल रक्षाबंधन पर भाइयों को राखी बांध कर करती हैं.

बहनें चाहे जिस उम्र की हो, भाई के प्रति उनका प्रेम कम नहीं होता. खराब स्वास्थ्य के कारण बहनें भले चल पाने में असमर्थ हो, लेकिन वह चाहती हैं कि अपने भाई के घर जाकर राखी बांधें. कई बुजुर्ग भाई भी प्रेम के कारण रक्षाबंधन के दिन बहन के घर खींचे चले आते हैं. पहले आज की तरह राखी का बाजार नहीं था तो बहनें अपने हाथ से भाई के लिए मिठाई बनाती थी और भाई का मुंह मीठा कराती थीं. आज भी शहर में ऐसी कई बहनें हैं, जिनकी उम्र करीब 90 साल है, लेकिन आज भी वे अपने भाइयों को उसी प्रेम से राखी बांधती है, जैसे 70 साल पहले बांधा करती थी. रक्षाबंधन के मौके पर यहां ऐसी बहनों के प्रेम और स्नेह को साझा किया जा रहा है

माइके जाकर भाई को हर साल बांधती हूं राखी

हाजीपुर रोड की बेलाकुंड की रहने वाली 90 वर्षीया दुलारी देवी अब भी अपने छोटे भाई दामोदर ठाकुर को उसी निष्ठा, प्रेम और समर्पण से राखी बांधती है, जैसे वह 80 वर्ष पहले बांध करती थीं. दुलारी देवी हर साल रक्षाबंधन के मौके पर अपने मैके पटोरी जाती हैं और वहां अपने भाई को राखी बांधती हैं. इनके भाई की उम्र भी करीब 78 वर्ष है. उन्हें भी बहन के घर आने का इंतजार रहता है. दुलारी देवी कहती हैं कि शादी से पहले जब वे मैके में रहती थीं तो रक्षाबंधन में घर पर ही पेड़ा बना कर भाई का मुंह मीठा कराती थीं, लेकिन अब यह संभव नहीं होता. इस बार भी वे अपने भाई को राखी बांधने के लिए मैके गयी हैं.

68 वर्षों से अपने छोटे भाई को बांध रही राखी

सिकदंरपुर निवासी 86 वर्षीया आनंदी देवी भी भागलपुर निवासी छोटे भाई शिवनंदन शुक्ला को राखी बांधती हैं. वह भी करीब 68 साल से अपने भाई को राखी बांध रही हैं. आनंदी देवी बताती हैं कि पहले वह लड्डू से भाई का मुंह मीठा कराती थीं. बचपन के दिनों मे फोम की राखी चला करती थी. जिस पर प्लास्टिक का स्वास्तिक बना रहता था. बाद में इस रेशम की डोरी बांधने लगी. आनंदी देवी कहती हैं कि आज भी भाई से उतना ही प्रेम करती हूं, जितना बचपन में करती थीं. राखी का त्योहार मेरे लिए अनमोल है. जब तक सांस रहेगी, अपने भाई को राखी बांधती रहूंगी और आशीर्वाद देती रहूंगी

अपने हाथों से मिठाई बनाकर भाई को खिलाती थीं

नई बाजार के सरस्वती प्रेस लेन निवासी विमला महथा की उम्र करीब 90 वर्ष है. वे तीन बहनों में सबसे बड़ी हैं. ये हर साल बीएमपी छह निवासी अर्जुन मेहता को राखी बांधती हैं. विमला देवी कहती हैं कि वे अपने भाई को करीब 75 साल से राखी बांध रही हैं. हर साल अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हूं. भाई को राखी बांधने के लिए रक्षाबंधन से पहले तैयारी करती हूं. पहले घर में मिठाई बना कर भाई का मुंह मीठा कराती थी, लेकिन अब यह संभव नहीं होता है, लेकिन भाई से आज भी उतना ही प्रेम है. भाई को भी रक्षाबंधन पर मेरा इंतजार रहता है.

तीन भाई नहीं रहे, दो भाइयों को बाधंती हूं राखी

कुढ़नी के तारसन किशुनी की 80 वर्षीय सुदामा देवी रक्षाबंधन पर अपने भाई के घर जाकर राखी बांधती हैं. इनके पांच भाई थे, जिसमें तीन की मृत्यु हो चुकी है. एक भाई बाहर रहते हैं और एक भाई शहर में रहते हैँ. वह अपने भाई के घर जाकर राखी बांधती हैं. सुदामा देवी कहती हैं कि हर साल वह अपने भाई और उसके परिवार की खुशी के लिए कामना करती हूं. जब भाई छोटा था, तबसे राखी बांधती आयी हूं. इस दिन का पूरे साल भर इंतजार रहता है. भाई को राखी बांध कर मुंह मीठा कराने के बाद ही कुछ खाती हूं.

आज भी रक्षाबंधन पर भाई को रहता है इंतजार

शुक्ला रोड की 80 वर्षीया कांति देवी 80 साल पिछले 70 साल से भाई को राखी बांध रही हैं. इनके दो भाई का निधन हो चुका है और एक भाई शंकर साह पुरानी गुदड़ी रोड में रहते हैं. कांति देवी हर साल राखी में अपने भाई के घर जाकर राखी बांधती हैं और उन्हें मुंह मीठा कराती हैं. कांति देवी कहती हैं कि रक्षाबंधन से जुड़ी उनकी कई स्मृतियां है. भाई जब छोटा था तब से राखी बांध रही हूं. भाई भी हर साल रक्षाबंधन पर मेरा इंतजार करता है. यह एक ऐसा पर्व है, जिसकी महत्ता कभी समाप्त नहीं होगी. भाई-बहन चाहे किसी भी उम्र के हों. रक्षाबंधन पर भाइयों की कलाई पर राखी बांध कर उसके और परिवार के लिए प्रार्थना करना बहनों के लिए सबसे सुखद पल होता है.

19 की दोपहर 1.26 से बहनें भाइयों को बांधेगी राखी

इस बार रक्षाबंधन पर बहनें 19 अगस्त को दोपहर 1.26 से राखी बांधेगी. वैसे तो 18 अगस्त की रात्रि 2.21 मिनट से श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि आरंभ होकर 19 अगस्त की रात्रि 12.28 मिनट तक रहेगी, लेकिन इसके साथ भद्रा होने के कारण रक्षाबंधन का पर्व भद्रा में नहीं मनाया जाएगा. भद्रा इस दिन दोपहर 1.25 मिनट तक रहेगा. दोपहर 1.26 से सूर्यास्त तक रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा. पं.प्रभात मिश्रा ने कहा कि रक्षा बंधन का त्योहार सूर्यास्त के बाद भी किया जा सकता है, लेकिनन इससे पहले तक रक्षाबंधन का श्रेष्ठ मुहूर्त है. इस दिन शिववास योग भी है. इस योग में रक्षाबंधन बहुत ही पुण्यकारी माना गया है. रक्षाबंधन का त्योहार भाई -बहन के रिश्तों की अटूट डोर का प्रतीक है. भारतीय परंपराओं का यह एक ऎसा पर्व है, जो केवल भाई बहन के स्नेह के साथ हर सामाजिक संबंध को मजबूत करता है.

इ-कॉमर्स से राखियों का बढ़ा कारोबार

इस बार इ-कॉमर्स के कारोबार के कारण राखियों के कारोबार में काफी तेजी रही. राखी और मिठाई का गिफ्ट पैक बड़ी संख्या में बहनों ने अपने भाइयों को भेजी है. शहर में करीब 15 हजार राखियों की डिलेवरी हुई है. बाहर रहने वाली बहनों ने विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से भाइयों को राखियां भेजी है. जिसमें राखी के अलावा रोड़ी और मुंह मीठा कराने के लिए मिठाई का पैकेट भी है. पहले बहनें राखी खरीद कर फिर उसे लिफाफे में रख कर पोस्ट करती थीं, लेकिन अब बस एक क्लिक से भाइयों के पते पर मनपसंद राखी पहुंच रही है. पिछले एक-दो वर्षों से इ-कॉमर्स से राखियों के कारोबार में काफी बढ़ोतरी हुई है.

राखियों से सजा बाजार, जमकर खरीदारी

रक्षाबंधन में दो दिन शेष रहने के कारण राखियों के बाजार से जमकर खरीदारी हो रही है. बहनें अपनी मनपसंद राखियां खरीद रही हैं. गरीबनाथ मंदिर रोड स्थित राखी मंडी में सुबह से रात तक खरीदारों की भीड़ उमड़ रही है. यहां विभिन्न प्रकार के फैशनेब राखी, जिसमें स्टोन वर्क, मेटल सहित भाई और भाभियों के लिए अलग-अलग क्वालिटी की राखी है. इसके बलावा बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के खिलौना आकार में राखी उपलब्ध है. खासकर डोरेमैन, छोटू-मोटू सहित अन्य कार्टून करेक्टर की राखियाें की अच्छी बिक्री हो रही है. राखी दुकानदार इरशाद ने बताया कि राखियों का कारोबार पिछले साल से अच्छा है. नये डिजायन की राखियां लोग अधिक पसंद कर रहे हैं.

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रक्षाबंधन का आध्यात्मिक संदेश देता है ब्रह्माकुमारी

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी रक्षाबंधन का आध्यात्मिक संदेश वर्षों से देता रहा है. ब्रह्माकुमारी की बिहार झारखंड की जोन इंचार्ज राजयोगिनी रानी दीदी ने कहा कि रक्षाबंधन का पर्व भाई बहन के स्नेह का पर्व है और भाइयों के जिम्मेवारी का पर्व भी है. इस समय रक्षा हमें पांच विकारों से करनी है. इससे सभी बुराइयों से रक्षा हो जाएगी. पांच विकारों से रक्षा करने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान और राजयोग की शिक्षा ब्रह्माकुमारी देता है. राजयोग के अभ्यास से विकारों से रक्षा हो जाती है. यही वास्तव में ऐसा रक्षाबंधन है, जो हमें सारे बंधनों से मुक्त कर देता है. प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की स्थापना 1936 में प्रजापिता ब्रह्मा बाबा द्वारा किया गया था.मुजफ्फरपुर में 1965 में संस्था संचालित है.प्रति वर्ष ब्रह्माकुमारी बहनें विभिन्न जगहों पर राखी बांध कर पांच विकारों से रक्षा का संदेश देती हैं.

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Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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