::: सहायक व कार्यपालक अभियंता के लिए जियो टैगिंग और क्रॉस-चेकिंग हुआ अनिवार्य, टाउन प्लानर की भी बढ़ी जिम्मेदारी
वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
शहरी क्षेत्र में मकान बनाना अब न सिर्फ महंगा हो गया है, बल्कि नक्शे की स्वीकृति कराने की प्रक्रिया भी पहले से कहीं ज्यादा जटिल हो गयी है. नगर निगम ने ऑनलाइन प्रक्रिया में कई बड़े बदलाव किये हैं, जिससे भू-स्वामियों के साथ-साथ नक्शे की स्वीकृति करने-कराने वाले आर्किटेक्ट इंजीनियर और निगम के अभियंताओं की भी मुश्किलें बढ़ गयी हैं. नये नियमों के तहत, सहायक अभियंता को ऑनलाइन आवेदन आने के तुरंत बाद प्रस्तावित स्थल पर जाकर जियो टैगिंग के साथ तस्वीर खींचनी होगी और उसे नक्शे की स्वीकृति पोर्टल पर अपलोड करना होगा. इसके अलावा, टाउन प्लानर को भी अब हर नक्शे की जांच करनी होगी. सबसे खास बात यह है कि कार्यपालक अभियंता को स्वीकृत होने वाले 100 नक्शों में से कम से कम 25 प्रतिशत की जांच खुद स्थल पर जाकर करनी होगी. उन्हें भी जांच की तस्वीरें पोर्टल पर अपलोड करनी होंगी. जांच टीम की यह भी जिम्मेदारी होगी कि वे यह सुनिश्चित करें कि जिस जमीन पर मकान बनाने के लिए आवेदन किया गया है. वह खाली है और आवेदक के दखल-कब्जे में है. नगर आयुक्त के इस फैसले से जहां नक्शा बनाने वाले आर्किटेक्ट और इंजीनियरों में हड़कंप है. निगम के अभियंता भी परेशान हैं.
बॉक्स ::: टाउन प्लानर व सहायक अभियंता के बीच बंटा वार्ड
नगर आयुक्त विक्रम विरकर ने नक्शा पास कराने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए सहायक अभियंताओं और टाउन प्लानर को अलग-अलग वार्डों की जिम्मेदारी सौंपी है. टाउन प्लानर आद्या कुंवर को वार्ड संख्या 01 से 12 तक की जिम्मेदारी मिली है. सहायक अभियंता अभिनव पुष्प को वार्ड संख्या 13 से 24 तक की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. सहायक अभियंता राकेश कुमार को वार्ड संख्या 25 से 37 एवं रक्षा विशेन को वार्ड संख्या 38 से 49 तक की जिम्मेदारी मिली है.
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