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जमीन रजिस्ट्री के लिए दिए फिंगरप्रिंट और आधार से ठगी का खतरा

जमीन रजिस्ट्री के लिए दिए फिंगरप्रिंट और आधार से ठगी का खतरा

प्रभात खास : ऑनलाइन फ्रॉड

:: आर्थिक अपराध इकाई पटना ने लोगों को कराया अलर्ट

संवाददाता, मुजफ्फरपुरऑनलाइन धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों का असर उत्तर बिहार के औद्योगिक राजधानी मुजफ्फरपुर में भी साफ तौर पर दिखने लगा है. साइबर ठगी के रोज नए- नए मामले जिले में सामने आ रहे हैं. जमीन की रजिस्ट्री और अन्य सरकारी कार्यों के लिए दिए गए आधार नंबर और फिंगरप्रिंट का दुरुपयोग का खतरा बढ़ गया है. अपराधी रजिस्ट्री समेत अन्य कार्यालय से आधार नंबर व फिंगरप्रिंट हासिल करके करोड़ों रुपये की ऑनलाइन ठगी की वारदात को अंजाम दे सकते हैं. वित्तीय सेवा विभाग की हालिया रिपोर्ट, जिसमें पिछले एक साल में धोखाधड़ी की राशि में पांच गुना बढ़ोतरी का जिक्र है. मुजफ्फरपुर जैसे शहरों के लिए भी एक गंभीर चेतावनी है, जहां जमीन-जायदाद के लेनदेन में बायोमेट्रिक पहचान का व्यापक उपयोग होता है. आर्थिक अपराध इकाई पटना ने आम लोगों से जागरूक रहने की अपील की है. रजिस्ट्री कार्यालयों और बैंकों में प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग अपने आधार और फिंगरप्रिंट का उपयोग करते हैं. अपराधियों की नजर ऐसे ही डेटा पर होती है, जिसे वे विभिन्न माध्यमों से हासिल कर भोले-भाले लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. वित्त मंत्रालय ने भी इसकी पुष्टि की थी कि आधार पेमेंट सिस्टम में धोखाधड़ी फिंगरप्रिंट और बायोमेट्रिक के दुरुपयोग के कारण हो रही है, जो इस बात को बल देता है कि मुजफ्फरपुर में भी ऐसे मामलों की आशंका प्रबल है.स्थानीय स्तर पर भी बढ़ रही है चुनौती राष्ट्रीय स्तर पर 2022-23 में 277 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 1,457 करोड़ रुपये तक पहुंची धोखाधड़ी की राशि यह बताती है कि यह समस्या किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है. एक लाख रुपये से अधिक के बड़े मामलों में भी राष्ट्रीय स्तर पर 4.05 करोड़ रुपये से बढ़कर 22.02 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है. मुजफ्फरपुर जैसे तेजी से विकसित हो रहे शहरों में जहां अचल संपत्ति का कारोबार खूब होता है, ऐसे में आधार और फिंगरप्रिंट के दुरुपयोग का खतरा और भी बढ़ जाता है.

साइबर अपराधी विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल कर रहे

डेटा चोरी: रजिस्ट्रार कार्यालयों या अन्य एजेंसियों से मिलीभगत के जरिए या साइबर हमलों से संवेदनशील आधार और फिंगरप्रिंट डेटा चोरी करना.

फिशिंग/स्मिशिंग: फर्जी संदेशों या कॉल के जरिए लोगों को बहका कर उनकी व्यक्तिगत जानकारी, ओटीपी या बायोमेट्रिक सत्यापन के लिए राजी करना.

नकली बायोमेट्रिक: कुछ मामलों में चुराए गए फिंगरप्रिंट डेटा का उपयोग कर नकली फिंगरप्रिंट बनाकर धोखाधड़ी को अंजाम देना.

एइपीएस का दुरुपयोग: आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (एइपीएस) के माध्यम से बिना जानकारी के बैंक खातों से पैसे निकालना.सुरक्षा को लेकर करें यह इंतजाम जन जागरूकता अभियान: शहर के चौक-चौराहों, सार्वजनिक स्थानों और सोशल मीडिया के माध्यम से नागरिकों को आधार, फिंगरप्रिंट और ओटीपी किसी के साथ साझा न करने के लिए जागरूक करना.

बैंकों से समन्वय : स्थानीय बैंकों को यूआइडीएआइ के दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन करने और एइपीएस सेवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपाय अपनाने का निर्देश देना. खासकर, जिन खातों में एइपीएस की आवश्यकता नहीं है, उन्हें इसे डिसेबल करने की सलाह देना.

रजिस्ट्रार कार्यालयों में सुरक्षा : जमीन रजिस्ट्री कार्यालयों में बायोमेट्रिक डेटा की सुरक्षा को लेकर कड़े प्रोटोकॉल लागू करना और कर्मचारियों को संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने के लिए प्रशिक्षित करना.

त्वरित शिकायत प्रणाली : मुजफ्फरपुर में साइबर अपराध की शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई के लिए हेल्पलाइन नंबर 1930 और साइबर क्राइम पोर्टल (cybercrime.gov.in) के बारे में व्यापक प्रचार करना.बचाव के लिए आम नागरिकों को विशेष सलाह

– अपने आधार को लॉक करें: यूआइडीएआइ की वेबसाइट या एम आधार ऐप के जरिए अपने आधार बायोमेट्रिक्स को लॉक करके अनधिकृत उपयोग से बचें. जब जरूरत हो, तब इसे अस्थायी रूप से अनलॉक किया जा सकता है.

हर लेनदेन की पुष्टि करें: किसी भी लेनदेन या सत्यापन से पहले उसकी प्रामाणिकता सुनिश्चित करें. यदि संदेह हो तो मना कर दें.

अनजान लिंक और कॉल से बचें : किसी भी संदिग्ध मैसेज या कॉल पर तुरंत विश्वास न करें. बैंक या सरकारी विभाग कभी भी फोन पर आपकी गोपनीय जानकारी नहीं मांगते.

नियमित रूप से बैंक स्टेटमेंट चेक करें : अपने बैंक खाते के लेन-देन पर कड़ी नजर रखें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत बैंक को रिपोर्ट करें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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