:: प्रखंड मुख्यालय पहुंचने के लिए अब लोगों को 40 किमी की दूरी तय करनी पड़ेगी प्रतिनिधि, कटरा बागमती नदी के जलस्तर में लगभग चार फुट की वृद्धि के कारण गुरुवार दोपहर से ही प्रखंड के उत्तरी हिस्से के चौदह पंचायतों का प्रखंड मुख्यालय से सड़क संपर्क भंग हो गया है. इससे बसघट्टा, चंगेल, कटाई, पहसौल, लखनपुर, यजुआर मध्य, यजुआर पश्चिम, यजुआर पूर्वी, बंधपुरा, तेहबारा, बर्री, नगबारा, बेलपकौना सहित लगभग पचास गांवों के लोगों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है. जहां पहले दो से पंद्रह किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती थी, अब लोगों को लगभग 40 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है. पीपा पुल के संचालक अरुण कुमार सिंह ने बताया कि जलस्तर में कमी आने पर ही पुल को दोबारा चालू किया जाएगा. कटरा में स्थित भू-निबंधन कार्यालय, जहाँ कटरा, औराई और गायघाट की जमीनों की रजिस्ट्री होती है. वहां आने वाले लोगों को भी अधिक समय और संसाधनों का नुकसान उठाना पड़ेगा.नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि से बकुची, पतारी, नवादा, परती टोला, बर्री, चंदौली, बलुआ, माधोपुर और अंदामा सहित अन्य गाँवों में बाढ़ की विभीषिका की चिंता सताने लगी है. बकुची निवासी हंसराज भगत और पूर्व मुखिया रामसकल भगत सहित अन्य लोगों ने आशंका जताई है कि अगर जलस्तर बढ़ता रहा तो इन गाँवों के खेतों में लगी सैकड़ों एकड़ सब्जी की फसल बर्बाद हो जाएगी, जिससे किसानों को लाखों रुपये का नुकसान होगा. यह समय से पहले नदी में बाढ़ का पानी बढ़ना शुरू हो गया है. कटरा निवासी जयशंकर सिंह, हरेराम सिंह और नारायण मंडल सहित अन्य लोगों ने बताया कि पिछले लगभग तीस वर्षों से बागमती नदी पर पीपा पुल की जगह स्थायी पुल बनाने की मांग की जा रही है. इसके लिए कई बार धरना-प्रदर्शन भी हुए, लेकिन अब तक सरकार द्वारा कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया है. प्रखंड मुख्यालय तक आने के लिए वर्तमान में एक मात्र निजी चचरी पुल ही सहायक रहा है, जो मानसून के मौसम में अक्सर जोखिम भरा हो जाता है. बागमती नदी के जलस्तर में बढ़ोत्तरी, भय का माहौल औराई. प्रखंड क्षेत्र से गुजरने वाली बागमती नदी के जलस्तर में गुरुवार की देर शाम तक 90 सेमी की वृद्धि दर्ज की गई है. जल संसाधन विभाग के सूत्रों ने बताया कि कटौझा में बागमती नदी खतरे के निशान से आधा सेमी ऊपर बह रही है, लेकिन देर रात तक पानी में गिरावट की उम्मीद की जा रही है. वहीं जलस्तर वृद्धि होने से एक दर्जन विस्थापित गांव के बाढ़ पीड़ित परिवार एक बार फिर से भय के साये में जीने को मजबूर हैं. वहीं दूसरी ओर पूर्व में चचरी पुल बह जाने के कारण मधुबन प्रताप व अतरार घाट पर लोग नाव से आवागमन कर रहे हैं. मधुबन प्रताप गांव के बाढ़ पीड़ित लाल बाबू सहनी ने बताया कि जलस्तर में वृद्धि हो जाने से दिनचर्या के सामान के लिये गांव से बाहर निकलने के लिए लोगों को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है.
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