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आवेदक कही से भी लर्निंग लाइसेंस का दे सकेंगे टेस्ट

You will be able to give the test for learning license

आवेदक कही से भी लर्निंग लाइसेंस का दे सकेंगे टेस्ट

नयी व्यवस्था को लागू करने को लेकर दिशा निर्देश जारी

टेस्ट देने के बाद सॉफ्टवेयर खुद पास व फेल को करेगा अप्रूवल

कुमार गौरव,

मुजफ्फरपुर

परिवहन विभाग द्वारा ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) की प्रारंभिक प्रक्रिया लर्निंग लाइसेंस (एलएल) बनवाने के नियम में कुछ बदलाव करने जा रहा है. इसमें परिवहन विभाग का सॉफ्टवेयर खुद से लर्निंग लाइसेंस के टेस्ट देने वाले को पास और फेल का अप्रूवल करेगा. अगर आवेदक डीटीओ ऑफिस में आकर एलएल का टेस्ट में परेशानी है तो वह जहां भी रहता है वहीं से ऑनलाइन कंप्यूटर के माध्यम से टेस्ट दे सकेगा. इस नयी व्यवस्था को लागू करने के संबंध में परिवहन सचिव ने एनआइसी पटना के अधिकारी को विभागीय सॉफ्टवेयर में इस नये प्रावधान को लागू करने का निर्देश दिया है, जबकि पहले एलएल टेस्ट के बाद अप्रूवल उसे जिला परिवहन कार्यालय के अधिकारी द्वारा किया जाता था जो अब सीधे साॅफ्टवेयर करेगा. इसमें आवेदक को टेस्टिंग में एक मौका मिलेगा, उसमें अगर सॉफ्टवेयर कोई क्लॉज लगाकर आवेदक को फेल करता है तो दोबारा टेस्ट के लिए शुल्क के साथ आवेदन करना होगा. इधर मामले में डीटीओ कुमार सत्येंद्र यादव ने बताया कि यह व्यवस्था सेंट्रलाइज्ड है, जिसे पूरी तरह से लागू किया जा रहा है. अप्रूवल का काम अब अधिकारी के आइडी की जगह सॉफ्टवेयर करेगा, साथ ही आवेदक बिना कार्यालय आये भी आवेदन के बाद मोबाइल पर मैसेज में आये लिंक पर जाकर खुद से टेस्ट दे सकते है.

नयी व्यवस्था में आवेदक की पूर्ण जवाब देही

लाइसेंस बनवाने में कई बार गलत इंट्री की शिकायत आवेदक करते थे. लेकिन अब पूरा काम आवेदक को स्वयं करना है, अगर उनके आवेदन में कोई गलती होती है तो उसकी जवाबदेही आवेदक की होगी. टेस्ट में फेल होने पर वह किसी दूसरे ऊपर गलती का आरोप नहीं लगा सकते है. लर्निंग लाइसेंस में पूछे जाने वाले यातायात नियम के संबंधित सवाल व जवाब की सूची भी विभाग के वेबसाइट उपलब्ध है. जिसे आवेदक खुद से पढ़ सकते है. इसी सूची से संबंधित सवाल ऑनलाइन टेस्ट में पूछे जाते है. एक बार फेल होते है तो वह एक सप्ताह के बाद दोबारा आवेदन करेंगे. सॉफ्टवेयर इतना अत्याधुनिक है कि आवेदक जब टेस्ट दे रहे होते है तो छोटी सी गलती को पकड़ लेता है. ऐसे में आवेदक घर बैठे टेस्ट देते हैं तो लैपटॉप या अपने पास के किसी साइबर कैफे में जाकर देते है तो छोटी गलती होने की संभावना बहुत हद तक कम जाती है.

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