सरकंडा के रास्ते सकरी नदी घाट से बालू उठाव पर ग्रामीणों का फूटा गुस्सा
रास्ता बंद होने और जान-माल के खतरे को लेकर किया विरोध प्रदर्शनग्रामीणों ने दी चेतावनी, कहा-बालू का उठाव बंद न होने पर विधानसभा चुनाव में करेंगे वोट बहिष्कार
प्रतिनिधि, गोविंदपुर.
स्थानीय थाना क्षेत्र के सरकंडा गांव जाने के रास्ते में सकरी नदी घाट संख्या-एक से बालू उठाव को लेकर ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा. शुक्रवार को सैकड़ों की संख्या में जुटे ग्रामीणों ने नदी किनारे बालू खनन का विरोध करते हुए खनन पर रोक लगा दी. संवेदक के कार्य पर गंभीर सवाल खड़े किये. प्रदर्शन की सूचना मिलते ही गोविंदपुर के अंचलाधिकारी संजीव कुमार तथा थाना प्रभारी राजीव कुमार पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर अड़े रहे.जीवन और जीविका दोनों पर खतरा
सरकंडा गांव की महिला गीता देवी, कांति देवी और गायत्री देवी ने बताया कि यह रास्ता सरकंडा से गोविंदपुर बाजार जाने का एकमात्र मार्ग है. इस रास्ते से हजारों ग्रामीण प्रतिदिन नदी पार कर बाजार और अन्य जरूरी कार्यों के लिये जाते हैं. बालू उठाव के कारण रास्ता काफी गहरा हो जायेगा, जिससे विशेषकर बरसात के दिनों में लोग डूबकर मर सकते हैं. गायत्री देवी ने कहा कि डिलीवरी के समय, शादी-ब्याह में और अन्य आपात स्थिति में हमलोगों को खाट पर मरीज या सामान रखकर इसी रास्ते से गुजरना होता है. यदि रास्ता और गहरा हो गया, तो पैदल चलना असंभव हो जायेगा. हमलोग बरसात में पहले से ही कमर तक पानी में चलते हैं. बालू हटने से स्थिति और भयावह हो जायेगी. पूर्व में सरकंडा की एक महिला का प्रसव इसी नदी में हो गया था और एंबुलेंस के अभाव में नवजात शिशु की मृत्यु भी हो गयी थी. ग्रामीणों का स्पष्ट कहना है कि यदि प्रशासन इस मार्ग पर पुल निर्माण करा देता है या कोई वैकल्पिक रास्ता बनाता है, तो उन्हें बालू उठाव से कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन, वर्तमान में बालू उठाना उनके जीवन के लिए खतरा है. ग्रामीण पवन किशोर यादव ने आरोप लगाया कि संवेदक की ओर से खनन कार्य के लिए कोई सूचना बोर्ड नहीं लगायी गयी है और ना ही यह बताया गया है कि खनन की सीमा क्या है. उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि किस घाट का टेंडर हुआ है और किस क्षेत्र से बालू उठाया जाना है. मनमाने ढंग से खनन कार्य किया जा रहा है.ग्रामीण करेंगे वोट का बहिष्कार
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकंडा से बालू उठाव बंद नहीं किया गया, तो आने वाले विधानसभा चुनाव में पूरा गांव वोट का बहिष्कार करेगा. ग्रामीणों के अनुसार, सरकंडा से बालू उठने से न सिर्फ इस गांव, बल्कि आसपास के झारखंड के पांच गांवों को भी गंभीर समस्या होगी. इन गांवों में जाने का मार्ग भी इसी नदी से होकर गुजरता है.पानी और खेती पर भी संकट
ग्रामीणों ने आशंका जतायी कि बालू उठाव के कारण जमीन गहरी हो जायेगी, जिससे जलस्तर नीचे चला जायेगा. इससे सिंचाई और पेयजल दोनों पर संकट आयेगा. पहाड़ी इलाके से घिरे इस क्षेत्र में पहले से ही पानी की समस्या है और बालू हटने से यह और गंभीर हो जायेगी. खबर लिखे जाने तक अंचलाधिकारी और पुलिस पदाधिकारी ग्रामीणों को समझाने में जुटे थे. प्रशासन की ओर से किसी वैकल्पिक समाधान या आश्वासन की औपचारिक घोषणा नहीं हुई थी.ग्रामीणों की मांग
बालू उठाव पर तत्काल रोक लगायी जाये, नदी पार करने के लिए पुल का निर्माण कराया जाये, खनन कार्य की सीमा और टेंडर प्रक्रिया की पारदर्शी जानकारी दी जाये, संवेदक की मनमानी पर अंकुश लगाया जाये. सरकंडा क्षेत्र के लोग फिलहाल आंदोलन के मूड में हैं और यदि प्रशासन ने ठोस कदम नहीं उठाया, तो यह विवाद और बड़ा रूप ले सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है