खेत में धान की नर्सरी तैयार, अब रोपनी के लिए किसान परेशान
खेत में पानी खत्म, बोरिंग से नहीं निकल रहा पानीप्रतिनिधि, मेसकौर.
वर्षा नहीं होने के कारण प्रखंड क्षेत्र के किसानों के हालात बहुत ही दयनीय है. मंगलवार को प्रभात खबर की टीम मेसकौर प्रखंड के सहवाजपुर सराय पंचायत मुख्यालय पहुंची, जहां किसानों ने आप बीती सुनायी. किसानों ने बताया कि मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार इस वर्ष भी झमाझम वर्षा की उम्मीद थी. इसको लेकर किसानों ने धान की नर्सरी डालने में तेजी बरती. नर्सरी तैयार हो गयी, पर किसान वर्षा की आस लगाये बैठे हैं. मौसम का मिजाज इतना बदल गया है कि धूप की तपिश तेज हो जाने से रोपाई का कार्य ठप पड़ गया है. धान की नर्सरी में बड़ी-बड़ी दरारें आने से पौधे पूरी तरह से सूखने लगे हैं.धूप-छांव का प्रतिदिन चलता है सिलसिला
प्रतिदिन आसमान में बादल छाने के साथ ही किसानों के माथे पर वर्षा होने की आस को लेकर खुशी की लकीरें दिखने लगती हैं. धूप-छांव का सिलसिला पिछले एक सप्ताह से चल रहा है, परंतु वर्षा नहीं हुई. किसानों ने सिंचाई करके रोपाई का काम शुरू भी किया है, पर धूप तेज होने से खेतों की नमी बहुत तेजी से सुख कर दरार फटने लगी है. आमतौर पर नर्सरी डालने के 21 दिन बाद से रोपाई का कार्य आरंभ हो जाता है. अब हाल यह है कि कुछ किसान नर्सरी तैयार होने के बाद भी घर की जमा-पूंजी लगाकर रोपाई करवाने से डर रहे हैं. किसान आसमान की ओर टकटकी लगाये हुए हैं. किसान श्रीकांत सिंह, राकेश कुमार, संतोष कुमार, सुधांशु कुमार आदि ने बताया कि एक बीघे धान की खेती में पलेवा के लिए एक हजार, रोपाई के लिए 12 सौ, डीएपी और खरपतवार नाशक डालने के लिए भी करीब सात सौ की लागत आती है. सिंचाई के लिए नहर का साधन नहीं होने से पंपसेट के माध्यम से धान की खेती पूरी तरह घाटे का सौदा साबित होता है. महंगी दर पर धान का बीज खरीदकर नर्सरी तैयार की गयी है.बारिश न होने से सूखे जैसे हालत, किसान चिंतित
एक पखवारे से अच्छी बारिश न होने से सूखे जैसे हालात हो रहे हैं. पानी के अभाव में खेत सूख गये हैं. धान की रोपाई का काम बाधित हो गया है. खेतों से नमी गायब होने से किसानों की समस्या बढ़ रही है. सिंचाई के लिए नलकूप का सहारा लेना पड़ा है. समय से पहले आये माॅनसून से लोगों को उम्मीद थी कि बारिश अच्छी होगी. मॉनसून ब्रेक होने से किसानों के मंसूबे पर पानी फिरता नजर आ रहा है.क्या बीत रही है किसानों पर
जिस किसान के पास सिंचाई का साधन नहीं है, वह आसमान की तरफ निहार रहा है. जिनके पास ट्यूबवेल है, वह बिजली की कटौती से परेशान है. प्रतिदिन घंटों बिजली बंद रहती है. आती भी है, तो कभी हाई वोल्टेज या फिर कभी लो वोल्टेज की समस्या बनी रहती है. लो वोल्टेज के कारण ट्यूबवेल नहीं चलता है, तो हाई वोल्टेज से पंप को नुकसान पहुंचता है. प्रखंड कृषि पदाधिकारी विजय कुमार ने बताया कि मेसकौर प्रखंड में करीब चार हजार चार सौ हेक्टेयर में धान की फसल लगाने लक्ष्य तय किया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है