सड़कों पर धूल व गंदगी फैला रहे नगर पार्षद के ट्रैक्टर
शहर में बिना ढके ट्रैक्टरों से हो रही कूड़े-कचरे की ढुलाईसदर एसडीओ ने कहा-करायी जायेगी जांच
प्रतिनिधि, नवाद नगर.
शहर में एक तरफ सरकार स्वच्छता और प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सख्त नियम बना रही है, तो दूसरी ओर नवादा जिले में स्वयं सरकारी तंत्र ही इन नियमों की खुलेआम अवहेलना कर रहा है. सबसे गंभीर बात यह है कि नगर पर्षद के ट्रैक्टर बिना ढके सड़कों पर कूड़े-कचरे ढोते नजर आते हैं. इससे न केवल आम लोगों के स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है, बल्कि पर्यावरण भी गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है. नगर पर्षद के किसी भी ट्रैक्टर पर कचरे को ढकने की व्यवस्था नहीं की जाती है. यह स्थिति एक-दो दिन की नहीं, बल्कि वर्षों से बनी है. बावजूद इसके अब तक खनन विभाग या परिवहन विभाग की ओर से नगर पर्षद के किसी भी वाहन पर न तो जुर्माना लगाया और ना ही कोई कानूनी कार्रवाई की गयी. वहीं, यदि आम नागरिक बालू या मिट्टी ढोते समय ढकाव नहीं करते हैं, तो उन्हें तुरंत दंडित कर भारी जुर्माना अदा करना पड़ता है. वर्तमान में नगर पर्षद की सफाई व्यवस्था एक निजी एजेंसी को सौंपी गयी है. उसे हर माह लगभग एक करोड़ का भुगतान किया जाता है. यह एजेंसी न केवल सफाई की जिम्मेदारी निभा रही है, बल्कि उस पर सरकार के नियमों का पालन करना भी अनिवार्य है. लेकिन, जब नगर पर्षद के ट्रैक्टरों पर ही कचरा बिना ढके ढोया जाता है, तो उसकी जवाबदेही किसकी बनती है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाये, तो इस लापरवाही के लिए एजेंसी पर जुर्माना तय किया जाना चाहिए.प्रशासन की दोहरी नीति से लोगों को नुकसान
सरकार के नियमों के अनुसार, बालू, मिट्टी जैसे पदार्थों को ढोते समय वाहन को प्लास्टिक या कवर से ढकना अनिवार्य है, ताकि डस्ट उड़कर प्रदूषण नहीं फैले. लेकिन, जब कचरे जैसे खतरनाक पदार्थ खुले में ढोये जा रहे हैं और उस पर कोई सख्ती नहीं हो रही, तो यह दोहरी नीति पर सवाल उठाता है. यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या नियम केवल आम जनता के लिए है या फिर सरकारी विभागों पर उनका कोई असर नहीं. अब जरूरत है कि जिम्मेदार एजेंसियों और अधिकारियों पर जवाबदेही तय हो, ताकि नवादा की सड़कों पर स्वच्छता और कानून दोनों एक साथ दिख सके.क्या कहते हैं विशेषज्ञ
कचरे से उड़ते धूलकण न केवल सड़कों को गंदा करते हैं, बल्कि हवा में मिलकर श्वसन तंत्र को भी नुकसान पहुंचाते हैं. कूड़े की डस्ट पार्टिकल जब सांस के जरिये फेफड़ों में पहुंचती है, तो एलर्जी, कफ, दमा और अन्य श्वसन संबंधी रोग हो सकते हैं. इनमें मौजूद वायरस और बैक्टीरिया आंखों में जाकर इंफेक्शन और रोशनी पर असर डाल सकते हैं. यह भी देखा गया है कि शहर में खुले में बिक रहे गोलगप्पे, चाट और मिठाइयों पर भी इन ट्रैक्टरों से उड़ती गंदगी सीधे जा रही है, जिससे खाद्य प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है.डॉ. रविश कुमार, जनरल फिजीशियन, नवादा
क्या कहते हैं पदाधिकारी
कचरे वाले वाहनों को नगर पर्षद से ढक कर ले जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी, ताकि लोगों को होने वाली परेशानियों का समाधान हो सके. उन्होंने कहा कि जल्द ही इसकी जांच कराकर नियम को लागू कराया जायेगा. नियमित कचरा संग्रहण और उसके निबटान की व्यवस्था सुनिश्चित करना नगर पर्षद की जिम्मेदारी है. कचरे को ढक कर ले जाने से न केवल लोगों को होने वाली परेशानियों का समाधान होगा, बल्कि इससे शहर की स्वच्छता और स्वास्थ्य भी बेहतर होगा. इस समस्या का समाधान करने के लिए पहल की है और जल्द ही इसकी जांच कराकर नियम को लागू कराने का आश्वासन दिया है. इससे लोगों को राहत मिलेगी और शहर की स्वच्छता में सुधार होगा.अमित अनुराग, सदर एसडीओB
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है