Bihar Bank NPA: मार्च 2024 तक की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में कुल 3.19 लाख करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया था। इसमें से 7.57% यानी 24,170 करोड़ रुपये एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) हो गया है. पिछले साल मार्च 2023 में एनपीए 23,193 करोड़ था. यानी एक साल में करीब 977 करोड़ रुपये का एनपीए और बढ़ गया.
ग्रामीण बैंकों की हालत सबसे खराब
राज्य के ग्रामीण बैंकों का एनपीए सबसे ज्यादा 21.34% है. इसका मतलब है कि हर 100 रुपये में से 21 रुपये का कर्ज वापस नहीं आ रहा. कमर्शियल बैंकों (जैसे SBI, PNB आदि) का एनपीए 6.98%, निजी बैंकों का 2.64% और सहकारी बैंकों का 2.02% है.
बैंकों का एनपीए कितना है (सारणी में):
बैंक का नाम | दिया गया कर्ज (₹ करोड़ में) | एनपीए (₹ करोड़ में) | एनपीए प्रतिशत |
---|---|---|---|
वाणिज्यिक बैंक | 1,83,125 | 12,786 | 6.98% |
ग्रामीण बैंक | 85,497 | 3,727 | 21.34% |
निजी बैंक | 31,906 | 842 | 2.64% |
सहकारी बैंक | 30,184 | 664 | 2.02% |
अन्य वित्तीय संस्थाएं | 3,081 | 151 | 4.90% |
कुल | 3,19,293 | 24,170 | 7.57% |
(सूचना स्रोत: राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति)
किसानों को लोन देने में बैंक अब पीछे हट रहे हैं
बैंकों को आशंका है कि दिया गया कर्ज वापस नहीं आएगा, इसलिए वे नए लोन देने में हिचकिचा रहे हैं. यह स्थिति खासकर कृषि क्षेत्र में ज्यादा दिख रही है, जहां किसान लोन लेने के बावजूद समय पर राशि नहीं लौटा पा रहे हैं. ऐसे में बैंक अब खेती के लिए कर्ज देने से बच रहे हैं.
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सबसे ज्यादा एनपीए छोटे उद्योगों (MSME) में
कर्ज का सबसे बड़ा हिस्सा खेती (1.15 लाख करोड़), एमएसएमई (94,578 करोड़), शिक्षा और आवास (52,311 करोड़) और बाकी अन्य कामों के लिए है. सबसे ज्यादा एनपीए एमएसएमई क्षेत्र में है – 16.39%, इसके बाद शिक्षा में 6.53% और खेती में 4.64%.