– कृषि श्रमिकों की औसत आयु भी 36 से बढ़कर 40 वर्ष हुई – मॉडर्न व व्यावसायिक कृषि से युवाओं को खेती-किसानी से जोड़ने का प्लान किया गया तैयार मनोज कुमार, पटना बिहार समेत देशभर में 20 से 29 आयु वर्ग के 17 फीसदी युवाओं ने खेती-किसानी छोड़ दी है. इस आयु वर्ग के 14 फीसदी युवा ही खेती कर रहे हैं. वहीं, कृषि में उम्रदराज श्रमिकों की तादाद भी बढ़ गयी है. वर्ष 2004-05 में कृषि श्रमिकों की औसत आयु 36.6 वर्ष थी. अब ये बढ़कर लगभग 40 फीसदी हो गयी है. युवाओं की खेती से कटने को लेकर बिहार में चिंतन शुरू कर दिया गया है. युवाओं को खेती-किसानी से जोड़ने के लिए कृषि विभाग ने कवायद शुरू की है. राज्यभर में कुल 10 हजार किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाये जायेंगे. इन एफपीओ से किसानों को जोड़ा जायेगा. इन युवाओं के लिए छह तरह के कार्यक्रम तैयार किये गये हैं. उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बिहार के युवाओं को खेती-किसानी से जोड़ने का निर्देश कृषि विभाग के अधिकारियों को दिया है. मॉडर्न और मांग आधारित खेती से जोड़े जायेंगे युवा युवाओं को खेती से जोड़ने के लिए पारंपरिक राह से अलग रास्ता अपनाया जायेगा. युवाओं के लिए मॉडर्न और क्षेत्रवार मांग आधारित खेती होगी. कृषि उद्यम को बढ़ावा मिलेगा. क्लस्टर में खेती करायी जायेगी. इन युवाओं की खेती को सीधे मार्केट से जोड़ा जायेगा. समय-समय कार्य योजनाओं को विकसित और बदलाव किया जा सकेगा. धान व गेहूं की खेती वाले 15% एरिया में होगी दूसरी खेती धान व गेहूं की खेती वाले 15 फीसदी एरिया में अलग-अलग फसलों की भी खेती होगी. इन इलाके में फसल विविधिकरण किये जायेंगे. विदेशी बागवानी फसलों में पांच प्रतिशत तक वृद्धि की जायेगी. मक्का, मोटे अनाज और कुछ चयनित बागवानी फसलों में भी पांच फीसदी की बढ़ोतरी की जायेगी. साल-दर साल इसके दायरे को बढ़ाया जायेगा. शुद्ध रूप से मुनाफे वाली फसलों की खेती इसके तहत की जायेगी.
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