संवाददाता, पटना
स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के छात्रों को पांच प्रतिशत क्रेडिट भारतीय ज्ञान प्रणाली से अर्जित करने होंगे. इस संबंध में यूजीसी ने सभी यूनिवर्सिटियों को पत्र लिखा है. यूजीसी सचिव प्रो मनीष जोशी की सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र में लिखा है कि कुल क्रेडिट में से 50 फीसदी प्रमुख विषयों (मेजर डिसिप्लिन) से होने जरूरी होंगे. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनइपी) 2020 के तहत उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली के समावेशन के लिए यह दिशा-निर्देश है. भारतीय ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देने की योजना है. इसके तहत स्नातक (यूजी) और स्नातकोत्तर (पीजी) पाठ्यक्रमों के छात्रों को भारतीय ज्ञान प्रणाली की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. यूजी और पीजी पाठ्यक्रमों के छात्रों को कुल क्रेडिट में से पांच फीसदी क्रेडिट भारतीय ज्ञान प्रणाली की पढ़ाई के बाद अर्जित करने होंगे. यूजीसी भारत की विस्तृत बौद्धिक विरासत को संरक्षित व विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसे उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों में सुव्यवस्थित रूप से एकीकृत करने का कार्य कर रहा है.प्रोफेसर्स को दिया जा रहा प्रशिक्षण
यूजीसी उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रोफेसर को भी भारतीय ज्ञान प्रणाली के तहत प्रशिक्षण दे रहा है. इसका मकसद यूजी और पीजी पाठ्यक्रमों में पढ़ाई से पहले शिक्षकों को भी तैयार करना है. ताकि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के शिक्षक भारतीय ज्ञान प्रणाली को प्रभावी ढंग से पढ़ा सकें. भारतीय ज्ञान प्रणाली को जोड़कर छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान कर सकें. यूजीसी के सचिव प्रो मनीष जोशी ने कहा है कि भारतीय ज्ञान प्रणाली को उच्च शिक्षा का अभिन्न हिस्सा बनाना आवश्यक है, ताकि छात्र अपनी समृद्ध बौद्धिक और सांस्कृतिक विरासत से परिचित हो सकें. इस पहल का उद्देश्य छात्रों में पारंपरिक भारतीय ज्ञान की समझ विकसित करना और इसे आधुनिक शिक्षा प्रणाली में प्रभावी रूप से एकीकृत करना है. भारतीय शिक्षा प्रणाली को अधिक समावेशी और समृद्ध बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है. कॉलेजों व विवि में जल्द से जल्द अपने पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान प्रणाली से संबंधित विषयों को लागू करें, ताकि छात्र इसका लाभ उठा सकें.
ये कोर्स पढ़ने होंगे
भारतीय ज्ञान प्रणाली के अंतर्गत वेद, उपनिषद, आयुर्वेद, योग, ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, भारतीय गणित, तर्कशास्त्र, साहित्य, कला, दर्शन और प्राचीन विज्ञान की विभिन्न धाराओं को पढ़ाया जायेगा. छात्रों को इन विषयों से जुड़े पाठ्यक्रमों का अध्ययन करना होगा और पांच प्रतिशत क्रेडिट प्राप्त करने होंगे.
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